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आमजन के लिए न्याय की लड़ाई लडऩे वाले अधिवक्ता स्वयं लगा रहे है न्याय की गुहार

भिवानी: आमजन के लिए न्याय की लड़ाई लडऩे वाले न्याय के सिपाही अधिवक्ता स्वयं न्याय की गुहार लगा रहे है, लेकिन अधिवक्ताओं की मांग सुनना तो दूर उनकी एफआईआर तक दर्ज नहीं की जा रही है। जिसके चलते अधिवक्ताओं को भी हड़ताल का सहारा लेकर प्रशासन तक अपनी बात पहुचानी पड़ रही है तो आमजन.

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भिवानी: आमजन के लिए न्याय की लड़ाई लडऩे वाले न्याय के सिपाही अधिवक्ता स्वयं न्याय की गुहार लगा रहे है, लेकिन अधिवक्ताओं की मांग सुनना तो दूर उनकी एफआईआर तक दर्ज नहीं की जा रही है। जिसके चलते अधिवक्ताओं को भी हड़ताल का सहारा लेकर प्रशासन तक अपनी बात पहुचानी पड़ रही है तो आमजन की हालत का अंदाजा लगाया जा सकता है। यह बात बार एसोसिएशन भिवानी के प्रधान सत्यजीत पिलानिया ने बुधवार को स्थानीय कोर्ट परिसर में हड़ताल पर बैठे अधिवक्ताओं को संबाधित करते हुए कही। इस दौरान अधिवक्ताओं ने पुलिस प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।

पिलानिया ने बताया कि बीते 14 जुलाई की रात को रेवाड़ी में एक अधिवक्ता से एसएचओ द्वारा अभद्र व्यवहार किया गया तथा उन पर झूठे आरोप लगाकर उनकी धवि धूमिल करने का प्रयास किया गया। यही नहीं उक्त एसएचओ द्वारा पीडि़त अधिवक्ता को अपने पद का रौब दिखाते हुए थाने ले जाने का प्रयास किया गया, जिसके बाद अधिवक्ता द्वारा लाख मिन्नतें करने के बाद उन्हे छोड़ा गया। जब पीडि़त अधिवक्ता अगले दिन थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाने पहुंचे तो उनकी रिपोर्ट भी दर्ज नहीं की जा रही थी, जिसके विरोध में करीबन एक सप्ताह से रेवाड़ी बार एसोसिएशन धरने पर बैठी थी। उन्होंने बताया कि जब अधिवक्ता अपनी शिकायत लेकर प्रदेश के गृह मंत्री अनिल विज के दरबार में पहुंचे तथा गृह मंत्री ने रेवाड़ी के पुलिस अधीक्षक को एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए।

उन्होंने कहा कि हरियाणा व पंजाब के अधिवक्ताओं की हड़ताल एवं गृह मंत्री के आदेशों के दबाव में एफआईआर दर्ज की गई, जबकि पुलिस प्रशासन का कर्तव्य है कि नागरिक की शिकायत के आधार पर एफआईआर दर्ज की जाए।बार एसोसिएशन भिवानी के प्रधान सत्यजीत पिलानिया ने रेवाड़ी के पीडि़त अधिवक्ता के समर्थन में बुधवार को हरियाणा व पंजाब के अधिवक्ताओं ने सामूहिक हड़ताल की तथा अपना कामकाज ठप्प रखा। उन्होंने कहा कि जब पुलिस कर्मचारियों द्वारा न्याय के सिपाही केे साथ ही अभद्र व्यवहार किया जा सकता है तो आमजन की हालत क्या होगी। उन्होंने धरने के माध्यम से मांग करते हुए अधिवक्ता को प्रताडि़त करने वाले एसएचओ के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए। राजस्थान की तर्ज पर हरियाणा के अधिवक्ताओं के लिए एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट लागू किया जाए।

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