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संसदीय यात्रा के 75 साल पर संसद में चर्चा

नयी दिल्ली: भारत की संसदीय यात्रा के उतार-चढ़ाव पर सोमवार को संसद के दोनों सदनों में सोमवार को जीवंत चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सत्ता पक्ष ने कहा कि देश में संसदीय लोकतंत्र की शक्ति उत्तरोत्तर बढ़ी है और चंद्रयान-3 तथा जी20 शिखर सम्मेलन जैसी हाल की सफलताओं से देश के.

नयी दिल्ली: भारत की संसदीय यात्रा के उतार-चढ़ाव पर सोमवार को संसद के दोनों सदनों में सोमवार को जीवंत चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सत्ता पक्ष ने कहा कि देश में संसदीय लोकतंत्र की शक्ति उत्तरोत्तर बढ़ी है और चंद्रयान-3 तथा जी20 शिखर सम्मेलन जैसी हाल की सफलताओं से देश के लोगों का आत्मविश्वास बढ़ा है, राष्ट्रों की बिरादरी में भारत का कद ऊंचा हुआ है और भारत ‘विश्व-मित्र’ के रूप में उभरा है। विपक्षी सदस्यों ने सरकार पर संवैधनिक संस्थाओं को कमजोर करने का आरोप लगाया और कहा कि देश में तनाव बढ़ रहा है और आम लोगों की आर्थिक समस्याएं बढ़ी हैं। दोनों सदनों में कई विपक्षी सदस्यों ने महिला आरक्षण विधेयक शीघ्र पारित कराए जाने की मांग की।

संसद के पांच दिन के विशेष सत्र का सोमवार को पहला दिन पुराने संसद भवन में दोनों सदनों की कार्यवाही का आखिरी दिन था। मंगलवार अपराह्न से लोक सभा और राज्य सभा की बैठकें नवनिर्मित संसद भवन में आहूत की गयी हैं। सदस्यों ने कहा कि संसद यह भवन में संविधान सभा से लेकर आज तक लोकतांत्रिक प्रतिबद्धता के साथ देश की विकास यात्रा के संकल्पों का साक्षी रहा है। इसने इस यात्रा में देश में आए कई उतार चढ़ावों का गवाह रहा और यह आने वाले समय में भी प्रेरणा का स्रोत बना रहेगा।

संविधान सभा से प्रारंभ होकर 75 वर्ष की संसदीय यात्रा- उपलब्धियां , अनुभव, यादें और सीख’विषय पर लोक सभा में चर्चा शुरू करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि स्वाधीन भारत के अमृतकाल के प्रारंभ में ‘राष्‍ट्र एक नया विश्‍वास, नयी उमंग, नये सपने, नये संकल्‍प, और नये सामर्थ्‍य से भरा है।” उन्होंने इसे ‘ हमारे 75 साल के संसदीय इतिहास के सामूहिक प्रयास का परिणाम बताया।’ मोदी ने प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू से लेकर अपने पूर्ववर्ती डॉ मनमोहन सिंह की सरकारों के योगदन का उल्लेख किया। उन्होंने संसदीय लोकतंत्र को मजबूत करने में सदनों के अध्यक्षों और सभापतियों के योगदान को याद किया। उन्होंने संसद पर आतंकवादी हमले का मुकाबला करते हुए अपने प्राणों की आहुति देने वाले सुरक्षाकर्मियों को भी नमन किया और कहा कि इस भवन में देश के तीन प्रधानमंत्रियों जवाहर लाल नेहरु, लाल बहादुर शास्त्री और इंदिरा गांधी के पद पर रहते हुए उनके निधन पर आंसू भी बहाए हैं।

कार्यवाही शुरू होते ही सदन ने जी-20 की सफलता पर अध्यक्ष ओम बिरला द्वारा रखे गए एक सराहना प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पारित किया। मोदी ने इसके लिए आभार व्‍यक्‍त करते हुए कहा, “ जी-20 की सफलता 140 करोड़ देशवासियों की है। यह भारत की सफलता है, किसी व्‍यक्ति की सफलता नहीं है, किसी दल की सफलता नहीं है।” प्रधानमंत्री ने कहा यह देश के लिए गर्व की बात है कि जी20 की उसकी अध्यक्षता में अफ्रीकी यूनियन इसका सदस्‍य बना। मोदी ने कहा , “ हम सबके लिए गर्व की बात है, आज भारत विश्‍वमित्र के रूप में अपनी जगह बना पाया है। पूरा विश्‍व भारत में अपना मित्र खोज रहा है, पूरा विश्‍व भारत की मित्रता को अनुभव कर रहा है। ”

मोदी ने भारत की संसदीय यात्रा की उपल्ब्धियों की गिनती करते हुए कहा कि इस यात्रा में जनता का इस संसद पर विश्वास बढ़ता ही गया है। उन्होंने कहा प्रयास यह होना चाहिए कि इस व्यवस्था के प्रति उनका विश्वास अटूट बना रहे।
उन्होंने कहा हम जब यह सदन को छोड़कर जा रहे हैं , तो हमारा मन-मस्तिष्क भी उन भावनाओं से भरा हुआ है, अनेक यादों से भरा हुआ है। खट्टे-मीठे अनुभव भी रहे हैं, नोक-झोंक भी रही है, कभी संघर्ष का माहौल भी रहा है तो कभी इसी सदन में उत्सव और उमंग का माहौल भी रहा है।

उन्होंने कहा कि ‘सबका साथ सबका विकास’ का मंत्र, अनेक ऐतिहासिक निर्णय, दशकों से लंबित विषय, उनका स्थाई समाधान भी इसी सदन में हुआ है।उन्होंने कहा कि यह सदन अनुच्छेद-370 की व्यवस्था में बदलाव पर हमेशा-हमेशा गर्व करेगा। इसी सदन में एक देश-एक कर की जीएसटी प्रणाली लागू करने और एक रैंक-एक पेंशन का निर्णय हुआ। और यहीं पहली बार देश को गरीबों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण की सौगात बिना किसी विवाद के दी गयी।

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