आप भी करें इंदिरा एकादशी की व्रत कथा, पितरों को होगी मोक्ष की प्राप्ति

आश्विन मास के कृष्ण पक्ष कि एकादशी को इंदिरा एकादशी कहा जाता है। इस एकादशी पर भगवान विष्णु जी के अवतार भगवान शालिग्राम की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन व्रत करने से सात पीढ़ियों तक के पितृों को तो मोक्ष की प्राप्ति होती ही है, साथ ही व्रती के लिए ये.

आश्विन मास के कृष्ण पक्ष कि एकादशी को इंदिरा एकादशी कहा जाता है। इस एकादशी पर भगवान विष्णु जी के अवतार भगवान शालिग्राम की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन व्रत करने से सात पीढ़ियों तक के पितृों को तो मोक्ष की प्राप्ति होती ही है, साथ ही व्रती के लिए ये व्रत बेहद लाभदायक होता है। पौराणिक कथा के अनुसार सत्युग में महिष्मती नाम के नगर में इंद्रसेन नाम के एक राजा थे। उनके माता-पिता का स्वर्गवास हो चुका था। एक रात उन्हें सपना आया, जिसमें उन्होंने देखा कि उनके मातापिता नर्क में रहकर अपार कष्ट भोग रहे हैं।

इस स्वप्न से राजा बहुत चिंतित हो उठे। इस स्वप्न को लेकर उन्होंने विद्वान ब्राह्मणों और मंत्रियों को बुलाकर बात की जिसके बाद ब्राह्मणों ने उन्हें बताया कि ‘हे राजन यदि आप इंदिरा एकादशी का व्रत करें, तो आपके पितृों को मुक्ति मिल जाएगी। इस दिन आप भगवान शालिग्राम की पूजा करें और ब्राह्मणों को भोजन कराकर दक्षिणा दें। इससे आपके माता-पिता स्वर्ग चले जाएंगे।’ राजा ने ब्राह्मणों की बात मानकर विधिपूर्वक इंदिरा एकादशी का व्रत किया। रात्रि में जब वे सो रहे थे, तभी भगवान ने उन्हें दर्शन देकर कहा कि ‘राजन तुम्हारे व्रत के प्रभाव से तुम्हारे पितृों को मोक्ष की प्राप्ति हुई है।

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