Special News: पूरी दुनिया देखती ही रह जाएगी 12 साल में बने अमेरिका के सबसे बड़े हिंदू मंदिर अक्षरधाम को

नई दिल्लीः अमेरिका में सबसे बड़े हिंदू मंदिर बोचासनवासी अक्षर पुरूषोत्तम स्वामीनारायण संस्था (बीएपीएस) स्वामीनारायण अक्षरधाम का उद्घाटन हो गया है। 185 एकड़ में फैले इस भव्य मंदिर को भक्तों के लिए खोल दिया गया है। इस भव्य मंदिर की वास्तुकला, भव्यता और आध्यात्मिकता को देख ऐसा लग रहा है मानो इसे स्वयं भगवान ने.

नई दिल्लीः अमेरिका में सबसे बड़े हिंदू मंदिर बोचासनवासी अक्षर पुरूषोत्तम स्वामीनारायण संस्था (बीएपीएस) स्वामीनारायण अक्षरधाम का उद्घाटन हो गया है। 185 एकड़ में फैले इस भव्य मंदिर को भक्तों के लिए खोल दिया गया है। इस भव्य मंदिर की वास्तुकला, भव्यता और आध्यात्मिकता को देख ऐसा लग रहा है मानो इसे स्वयं भगवान ने बनाया हो। दुनिया भर के 12 हजार 5 सौ से अधिक कारीगरों ने इसे 12 वर्षों की अवधि में बनाया है। भगवान स्वामीनारायण को समर्पित मंदिर का निर्माण 2011 में शुरू हुआ था। संयुक्त राज्य अमेरिका में भगवान स्वामीनारायण को समर्पित सबसे ऊंचा और सबसे बड़ा हिंदू मंदिर, सभी धर्मों और पृष्ठभूमि के आगंतुकों के लिए आध्यात्मिक और सांस्कृतिक प्रकाशस्तंभ है।

185 एकड़ में फैला, अक्षरधाम परिसर हजारों वर्षों की प्रेरणादायक हिंदू संस्कृति को एकीकृत और समेकित करता है, जिसमें 10,000 पवित्र चित्र, 151 भारतीय संगीत वाद्ययंत्रों की नक्काशी और 108 पारंपरिक भारतीय नृत्य रूपों और 300 से अधिक पवित्र भारतीय नदियों के जल का इस्तेमाल हुआ है।

वॉलंटियर्स लेनिन जोशी ने कहा, स्वामीनारायण अक्षरधाम भारत की विरासत और संस्कृति को आधुनिक अमेरिका के सामने प्रस्तुत करता है। उन्होंने कहा, इसे दुनियाभर के वॉलंटियर्स द्वारा बनाया गया। इसमें परंपराओं को संरक्षित करने की कोशिश की है। शांति, आशा और सद्भाव का संदेश दिया गया है। जोशी ने कहा, हम पिछले कई वर्षों से इस पल का इंतजार कर रहे थे। उन्होंने कहा, आखिरकार वो दिन आ गया, जब देशभर से लोग मंदिर में आ सकेंगे और भारतीय हिंदू परंपरा, शांति, भक्ति और वास्तुशिल्प चमत्कार के प्रतीक मंदिर में भव्य दर्शन कर सकेंगे।

बीएपीएस के सीईओ कनु पटेल ने कहा, “अक्षरधाम प्रेम का श्रम है, जो निस्वार्थ सेवा और एकता के प्रति समर्पण और अटूट प्रतिबद्धता का प्रतिनिधित्व करता है। यह सभी आगंतुकों के लिए प्रेरणा और शांति पाने का स्थान होगा जैसा कि हमारे आध्यात्मिक नेताओं, परम पावन प्रमुख स्वामी महाराज ने कल्पना की है। यह मंदिर भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करेगा, जो “वसुधैव कुटुंबकम” (“दुनिया एक परिवार है”) के हिंदू सिद्धांत पर प्रकाश डालेगा। मंदिर की नींव निस्वार्थ सेवा और भक्ति की भावना से जुड़ी है। यह भावना ना सिर्फ हिंदू-अमेरिकियों, भारतीयों और भारतीय-अमेरिकियों से, बल्कि अमेरिका और पूरे विश्व की बात करेगी।

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