संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने 18 अक्तूबर को फिलिस्तीन-इज़राइल स्थिति पर एक मसौदा प्रस्ताव पर मतदान किया, जिसमें गाजा पट्टी में मानवतावाद की प्राप्ति के लिए अस्थायी युद्धविराम का आह्वान आदि विषय शामिल थे। मसौदा प्रस्ताव को सुरक्षा परिषद के 12 सदस्यों द्वारा अनुमोदित किया गया था, लेकिन अमेरिका ने वीटो कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप मसौदा प्रस्ताव को अपनाया नहीं जा सका। कई देशों ने इस पर अफ़सोस और निराशा व्यक्त की।
ब्राजील द्वारा तैयार किए गए इस मसौदा प्रस्ताव में नागरिकों के खिलाफ़ सभी हिंसा और आतंकवादी कृत्यों की निंदा शामिल है, और अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून के अनुसार सभी चिकित्सा कर्मचारियों और चिकित्सा सुविधाओं की सुरक्षा का आह्वान किया गया है। मतदान में सुरक्षा परिषद के 15 सदस्यों में से 12 ने सहमति जताई, और रूस व ब्रिटेन तटस्थ रहे। अमेरिका आपत्ति जताने वाला सुरक्षा परिषद का एकमात्र स्थायी सदस्य है।
संयुक्त राष्ट्र में चीन के स्थायी प्रतिनिधि चांग च्युन ने सुरक्षा परिषद में मतदान के बाद एक व्याख्यात्मक भाषण देते हुए कहा कि ब्राजील द्वारा प्रस्तावित मसौदा प्रस्ताव आम तौर पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय की सार्वभौमिक आवाज को प्रतिबिंबित करता है। यह युद्धविराम को बढ़ावा देने के लिए सुरक्षा परिषद के शुरुआती कदमों का प्रतिनिधित्व करता है, और यह एकमात्र प्रस्ताव भी हो सकता है जिस पर सुरक्षा परिषद वर्तमान परिस्थितियों में सहमत हो सकता है। प्रासंगिक देश मौखिक रूप से इस बात पर जोर देते हैं कि सुरक्षा परिषद को सही कार्रवाई करनी चाहिए, लेकिन इन देशों के मतदान के रुख से लोगों को संदेह होता है कि वे नहीं चाहते कि सुरक्षा परिषद कोई कार्रवाई करे और वास्तव में समस्या का समाधान नहीं करना चाहते।
रिपोर्ट के अनुसार, फिलिस्तीनी स्वास्थ्य विभाग ने कहा कि 18 अक्तूबर को दोपहर बाद पौने 3 बजे तक, गाजा पट्टी और जोर्डन नदी के पश्चिमी तट पर 3,540 लोग मारे गए थे और 13,000 से अधिक घायल हुए थे। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन उस दिन इज़राइल दौरे पर पहुंचे। उनकी यात्रा की पूर्व संध्या पर, गाजा शहर के एक अस्पताल पर हवाई हमले में 471 लोग मारे गए।
(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)