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रेलवे और बिजली बोर्ड के निजीकरण के खिलाफ CITU ने रामपुर बुशहर में किया विरोध प्रदर्शन

रामपुर बुशहर (मीनाक्षी) : सीटू ने रेलवे और बिजली बोर्ड के निजीकरण के खिलाफ और हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार द्वारा बिजली बोर्ड में स्मार्ट मीटर लगाने के लिए टेन्डर आमंत्रित करने के विरोध में रामपुर में प्रदर्शन किया। प्रदर्शन को संबोधित करते हुए सीटू शिमला जिला अध्यक्ष कुलदीप डोगरा, सचिव अमित, उपाध्यक्ष रणजीत, देवेन्द्र,.

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रामपुर बुशहर (मीनाक्षी) : सीटू ने रेलवे और बिजली बोर्ड के निजीकरण के खिलाफ और हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार द्वारा बिजली बोर्ड में स्मार्ट मीटर लगाने के लिए टेन्डर आमंत्रित करने के विरोध में रामपुर में प्रदर्शन किया। प्रदर्शन को संबोधित करते हुए सीटू शिमला जिला अध्यक्ष कुलदीप डोगरा, सचिव अमित, उपाध्यक्ष रणजीत, देवेन्द्र, कामराज ने कहा कि देश की आजादी के बाद भारत यह सुनिश्चित करना चाहता था कि लोगों की बुनियादी जरूरतें पूरी हो। इसीलिए औद्योगिक क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करने के प्रयास किए गए, जिससे पहली पंचवर्षीय योजना के दौरान 12 सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) का गठन हुआ।

देश को कल्याणकारी राज्य से परिभाषित किया गया। परन्तु कल्याणकारी राज्य नीति के विपरीत 1990 के दशक में नीतियां उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण की ओर स्थानांतरित हो गईं। जिन्हें हम नवउदारवाद की नीतियों के नाम से जानते है। नवउदारवाद की नीतियों के कारण स्थायी नौकरियां खत्म हो गईं, बड़े पैमाने पर ठेकेदारी प्रथा और आउटसोर्सिंग शुरू हो गई, जिससे युवाओं को कॉर्पोरेट खिलाड़ियों की दया पर छोड़ दिया गया।

देश की मोदी सरकार नवउदारवाद की नीतियों को तेजी से लागू कर, सार्वजनिक क्षेत्र का निजीकरण कर रही है। सार्वजनिक क्षेत्र के निजीकरण का मतलब है। कुछ बड़े घरानों या अंतरराष्ट्रीय बड़े व्यवसायों को देश की संपत्ति को बेच देना। देश की मोदी सरकार रेलवे को नष्ट कर रही है, जिसके पास प्रति दिन 2.40 करोड़ यात्रियों को सेवा देने वाले लगभग 7300 रेलवे स्टेशन हैं तथा 9,140 मालगाड़ियां हैं, जो प्रतिदिन 1.4 बिलियन मीट्रिक टन ढोती हैं।

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