संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद ने चीन के राष्ट्रीय मानवाधिकार समीक्षा के चौथे दौर की शुरुआत की, इस दौरान चीनी मानवाधिकार अनुसंधान संघ के तत्वावधान में “चीनी-शैली आधुनिकीकरण और मानवाधिकार” सम्मेलन 24 जनवरी को स्विट्जरलैंड के जेनेवा में आयोजित किया गया। सम्मेलन में देश-विदेश से 50 से अधिक विशेषज्ञ, विद्वान, सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि और मीडिया प्रतिनिधि शामिल हुए, जिसका ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से दुनिया भर में सीधा प्रसारण किया गया।
सम्मेलन में स्विट्जरलैंड, तुर्की, बांग्लादेश, कैमरून आदि देशों के अतिथियों के साथ-साथ कई सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने विशेषज्ञों और विद्वानों के साथ बातचीत की। चीनी मानवाधिकार अनुसंधान संघ के उप महासचिव चू होंगली ने कहा कि मानवाधिकार मानव सभ्यता की उपलब्धियाँ और प्रतीक ही नहीं, आधुनिक सभ्यता की विशेषताएँ भी हैं। मानवाधिकारों का सम्मान और रक्षा करना आधुनिकीकरण निर्माण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
चीन हमेशा आधुनिकीकरण के लिए प्रतिबद्ध रहा है और विकास के माध्यम से मानवाधिकारों को बढ़ावा देने की वकालत करता है। चीन में पूर्व स्विस सैन्य अताशे, इतिहासकार और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा नीति विशेषज्ञ पीटर हेडिगर ने कहा कि उन्होंने चीन द्वारा प्रस्तुत मानवाधिकार रिपोर्ट का अध्ययन किया, जिसकी संख्याओं और उपलब्धियों ने उन पर गहरी छाप छोड़ी। चीनियों को इस पर गर्व हो सकता है।
चीनी सामाजिक विज्ञान अकादमी के अंतर्राष्ट्रीय कानून संस्थान के शोधकर्ता ताई रेइच्युन ने कहा कि हाल के वर्षों में, चीन ने महिलाओं के अधिकारों की न्यायिक सुरक्षा को मजबूत करने में महत्वपूर्ण प्रगति की है। साल 2022 में, चीन ने दूसरी बार “महिलाओं के अधिकारों और हितों की सुरक्षा पर कानून” को व्यापक रूप से संशोधित किया, जिसमें “राहत उपाय” पर एक अध्याय जोड़ा गया।
उधर, शिनच्यांग विश्वविद्यालय में मार्क्सिज्म कॉलेज की एसोसिएट प्रोफेसर रेमिना श्याओखाइ ने कहा कि शिनच्यांग के चीनी शैली के आधुनिकीकरण के अभ्यास की प्रक्रिया में शिनच्यांग का मानवाधिकार कार्य तेजी से विकसित हुआ है, और सभी जातियों के लोगों को काम करने के अधिकार और शिक्षा के अधिकार की पूरी गारंटी दी जाती है। शिनच्यांग में सामाजिक विकास और जन-जीवन में सुधार में अभूतपूर्व उपलब्धियां हासिल हुई हैं।
वहीं, चीनी तिब्बतोलॉजी अनुसंधान केंद्र के धर्म संस्थान की सहायक शोधकर्ता स्वोलांग च्वोमा ने कहा कि सरकार के नीतिगत समर्थन, पूंजी के निवेश, शिक्षा प्रशिक्षण, अंतर्राष्ट्रीय आदान-प्रदान, और स्थानीय लोगों और संबंधित संस्थाओं की सक्रिय भागीदारी ने तिब्बत की अद्वितीय सांस्कृतिक विरासत को प्रभावी ढंग से संरक्षित किया है, जिससे इसे आगे बढ़ाने की अनुमति मिली है।
(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)