Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the rocket domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /var/www/dainiksaveratimescom/wp-includes/functions.php on line 6114
हुक्मनामा श्री हरिमंदिर साहिब जी 04 जुलाई 2024 - Dainik Savera Times | Hindi News Portal
विज्ञापन

हुक्मनामा श्री हरिमंदिर साहिब जी 04 जुलाई 2024

सोरठि महला ३ दुतुकी ॥ निगुणिआ नो आपे बखसि लए भाई सतिगुर की सेवा लाइ ॥ सतिगुर की सेवा ऊतम है भाई राम नामि चितु लाइ ॥१॥ हरि जीउ आपे बखसि मिलाइ ॥ गुणहीण हम अपराधी भाई पूरै सतिगुरि लए रलाइ ॥

- विज्ञापन -

धर्म : सोरठि महला ३ दुतुकी ॥ निगुणिआ नो आपे बखसि लए भाई सतिगुर की सेवा लाइ ॥ सतिगुर की सेवा ऊतम है भाई राम नामि चितु लाइ ॥१॥ हरि जीउ आपे बखसि मिलाइ ॥ गुणहीण हम अपराधी भाई पूरै सतिगुरि लए रलाइ ॥ रहाउ ॥ कउण कउण अपराधी बखसिअनु पिआरे साचै सबदि वीचारि ॥ भउजलु पारि उतारिअनु भाई सतिगुर बेड़ै चाड़ि ॥२॥ मनूरै ते कंचन भए भाई गुरु पारसु मेलि मिलाइ ॥ आपु छोडि नाउ मनि वसिआ भाई जोती जोति मिलाइ ॥३॥ हउ वारी हउ वारणै भाई सतिगुर कउ सद बलिहारै जाउ ॥ नामु निधानु जिनि दिता भाई गुरमति सहजि समाउ ॥४॥

अर्थ : हे भाई ! हम जीव अवगुणों से भरे हैं, विकारी हैं। पूरे गुरु ने (जिन को अपनी संगत में) मिला लिया है, उनको परमात्मा आप ही कृपा कर के (अपने चरणों में) जोड़ लेता है।रहाउ। हे भाई ! अवगुणों से भरे जीवों को सतिगुरु की सेवा में लगा के परमात्मा आप ही बख्श लेता है। हे भाई ! गुरु की शरण-सेवा बड़ी श्रेष्ठ है, गुरु (शरण पड़े मनुख का) मन परमात्मा के नाम में जोड़ देता है।1। हे प्यारे ! परमात्मा ने अनेकों ही अपराधीआँ को गुरु के सच्चे शब्द के द्वारा (आत्मिक जीवन की) विचार में (जोड़ के) बख्शा है।

हे भाई ! गुरु के (शब्द-) जहाज में चड़ा कर के उस परमात्मा ने (अनेकों जीवों को) संसार-सागर से पार निकाला है।2। हे भाई ! जिन मनुष्यों को पारस-गुरु (अपनी संगत में) मिला के (प्रभू-चरणो में) जोड़ देता है, वह मनुख गले हुए लोहे से सोना बन जाते हैं। हे भाई ! आपा-भाव त्याग के उन के मन में परमात्मा का नाम आ बसता है। गुरु उन की सुरति को भगवान की जोति में मिला देता है।3। हे भाई ! मैं कुरबान जाता हूँ, मैं कुरबान जाता हूँ, मैं गुरु से सदा ही कुरबान जाता हूँ। हे भाई ! जिस गुरु ने (मुझे) परमात्मा का नाम-खजाना दिया है, उस गुरु की मति ले के मैं आत्मिक अढ़ोलता में टिका रहता हूँ।4।

Latest News