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करनाल: लगातार हो रही बारिश से किसानों की बढ़ी चिंता, धान की फसल लेटी, नुकसान की भारी आशंका

धान की फसल, जो लगभग पकने के कगार पर थी, अब लगातार हो रही बारिश के कारण जमीन पर लेट चुकी है,

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करनाल: पिछले कई दिनों से हो रही लगातार बारिश ने जहां आम लोगों को गर्मी से राहत दी है, वहीं किसानों के लिए ये बारिश एक गंभीर समस्या बन गई है। आपको बता दे कि हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में धान की फसल की प्रमुखता होने के कारण, इस समय हो रही बारिश ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है।

धान की फसल, जो लगभग पकने के कगार पर थी, अब लगातार हो रही बारिश के कारण जमीन पर लेट चुकी है, जिससे किसानों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। किसानों का कहना है कि 3 अगस्त से लगातार रुक-रुक कर हो रही बारिश ने उनकी फसल को काफी नुकसान पहुंचाया है।

इस मौसम में सामान्यतः धान की फसल तैयार हो जाती है और कटाई की जाती है, लेकिन इस बार मौसम की मार ने उनकी मेहनत पर पानी फेर दिया है। इस कारण फसल का एक बड़ा हिस्सा सड़ने की आशंका है, जिससे किसानों की सारी मेहनत बेकार हो सकती है। किसानों के अनुसार, अगर बारिश इसी तरह जारी रही तो उनका भारी नुकसान होना तय है।

किसानों ने सरकार से अपील की है कि उन्हें इस मुश्किल समय में सहायता प्रदान की जाए। वे उम्मीद कर रहे हैं कि सरकार उनकी स्थिति को समझेगी और उन्हें नुकसान की भरपाई के लिए मुआवजा प्रदान करेगी। साथ ही, मौसम के मिजाज को देखते हुए वे उम्मीद कर रहे हैं कि सरकार कुछ ठोस कदम उठाएगी, जिससे भविष्य में इस प्रकार की समस्याओं का सामना न करना पड़े।

वही, दुसरी तरफ करनाल के तरावड़ी की बात की जाए तो तरावड़ी में भी आज जबरदस्त बारिश हुई। बारिश की वजह से अनाज मंडी में किसानों की जो धान की फसल पहुंची हुई थी वह भी पानी में बह गई। किसानों का आरोप मंडी में कोई भी सफाई व्यवस्था नहीं है। किसानो ले कहा की आज मुख्यमंत्री का कार्यक्रम होने के बावजूद भी कोई सफाई व्यवस्था नहीं थी।

नालिया बंद हैं इसी वजह से आज जो बारिश का पानी था वह सड़कों पर चल रहा था जिस वजह से किसानों की हजारों क्वांटल धान की फसल भीग चुकी है। इस और किसी का भी कोई ध्यान नहीं है कुल मिलाकर, लगातार हो रही बारिश ने किसानों के सामने एक बड़ा संकट खड़ा कर दिया है।

धान की फसल के लेटने से किसानों की मेहनत पर पानी फिरने की आशंका बढ़ गई है। इस समय, उनकी सारी उम्मीदें सरकार और मौसम की मेहरबानी पर टिकी हुई हैं, क्योंकि अगर मौसम जल्द नहीं सुधरा और सरकार ने उन्हें मदद नहीं दी, तो उनका भारी नुकसान हो सकता है।

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