देहरादून/हरिद्वार: अल्मोड़ा जिला जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे एक अंडरवल्र्ड डॉन को हाल में जेल परिसर में साधुओं ने दीक्षा दी थी। डॉन और साधुओं की मुलाकात कराने वाले एक व्यक्ति ने यह दावा किया है। डॉन प्रकाश पांडे उर्फ पीपी के खिलाफ जबरन वसूली, डकैती और हत्या सहित कई आपराधिक मामले लंबित हैं। गैंगस्टर और साधुओं की मुलाकात की व्यवस्था करने वाले व्यक्ति के साथ 2 साधु कथित तौर पर 5 सितंबर को जेल परिसर में दीक्षा समारोह के लिए गए थे। इस दौरान पांडे को रुद्राक्ष की माला और मोतियों की माला (कंठी) पहनने के लिए दी गई थी। उसके कानों में वैदिक मंत्र भी सुनाए गए थे।
साधुओं ने डॉन का नाम बदलकर प्रकाशानंद गिरि कर दिया। साधुओं ने स्वयं को पंच दशनाम जूना अखाड़ा से जुड़ा हुआ बताया, जिसका मुख्यालय हरिद्वार में है और इसके आश्रम कुमाऊं क्षेत्र में हैं।
जेल परिसर से बाहर आने के बाद साधुओं और मुलाकात कराने वाले कृष्ण कांडपाल ने अल्मोड़ा के एक होटल में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि उसमें (पांडे) ‘देशभक्ति की भावनाएं हैं’ और ‘धाíमक और निर्मल जीवन’ की ओर बढ़ना चाहता था। कांडपाल ने कहा, ‘जब मैं पीपी भाई से मिला तो मैं उसकी देशभक्ति की भावना से प्रभावित हुआ। वह एक बार दाऊद (इब्राहिम) को मारने के लिए पाकिस्तान गया था। वह किसी और को मारने के लिए वियतनाम भी गया था, लेकिन उसे गिरफ्तार कर लिया गया क्योंकि उसके खिलाफ रैड कॉर्नर नोटिस जारी किया गया था। उसने आध्यात्मिक मार्ग पर चलने की इच्छा जताई थी। मैंने साधुओं से बात की और वे उसे दीक्षा देने के लिए सहमत हो गए।’ उन्होंने कहा, ‘‘यह एक सामान्य दीक्षा कार्यक्रम था। बड़ा और विस्तृत कार्यक्रम 2025 में प्रयागराज कुंभ में किया जाएगा।’ राजेंद्र गिरि नामक एक साधु ने कहा कि प्रकाशानंद गिरि का जीवन जेल में बंद अन्य कैदियों को आध्यात्मिकता और निर्मल जीवन अपनाने के लिए प्रेरित कर सकता है। इस बीच, पंच दशनाम जूना अखाड़ा ने कहा कि वह घटना की जांच के लिए 7 सदस्यीय समिति गठित करेगा।