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खुद को रखना है तंदुरुस्त तो आज ही डाइट में शामिल करें कद्दू, जानिए इसके कमाल के फायदे

सभी तरह के फल और सब्जियां सेहत के लिए फायदेमंद होते हैं। मगर बात पंपकिन (कद्दू) की करें, तो इसमें गुणों का खजाना है।आयुर्वेद में भी कद्दू को औषधीय रूप से फायदेमंद बताया गया है। कद्दू के फायदों को दुनियाभर में पहुंचाने के लिए हर साल 29 सितंबर

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सभी तरह के फल और सब्जियां सेहत के लिए फायदेमंद होते हैं। मगर बात पंपकिन (कद्दू) की करें, तो इसमें गुणों का खजाना है।आयुर्वेद में भी कद्दू को औषधीय रूप से फायदेमंद बताया गया है। कद्दू के फायदों को दुनियाभर में पहुंचाने के लिए हर साल 29 सितंबर ‘वर्ल्ड पंपकिन डे’ मनाया जाता है। ताकि लोगों को इस सुपरफूड के फायदे बताएं जा सकें। इस गुणकारी पंपकिन (कद्दू) के फायदों को जानने के लिए आईएएनएस ने न्यूट्रिशनिस्ट डॉ. कनिका सचदेव से बात की।

कद्दू के गुणों पर बात करते हुए न्यूट्रिशनिस्ट ने बताया, ”कद्दू को कुम्हड़ा, कूष्मांड, वल्लीफल, काशीफल, सीताफल, रामकोहला और पेठा के नाम से भी जाना जाता है। इसमें विटामिन ए, ई और सी, ओमेगा-3 फैटी एसिड, मैग्नीशियम, जिंक, सेलेनियम, आयरन और बीटा-कैरोटीन जैसे कई पोषक तत्‍व मौजूद होते है। विटामिन ए हमारी आंखों और हमारी स्‍क्रीन के लिए जरूरी होता है। वहीं इसमें मौजूद विटामिन सी हमारी इम्यूनिटी को बढ़ाता है।”

आगे कहा, ” कद्दू के बीज भी अपने आप में बेहद गुणकारी हैं। यह आपकी नींद पर बेहतर तरीके से काम करते हैं। यह मूड को सही बनाए रखने काम काम करते हैं। पंपकिन सीड्स मेनोपॉज से गुजर रही महिलाओं के लिए भी बेहद ही फायदेमंद होते हैं। ”

उन्‍होंने कहा, ” कद्दू में भरपूर मात्रा में फाइबर पाया जाता है, जो हमारे वजन को सही बनाए रखने में मदद करता है। इसके साथ ही यह ब्‍लड शुगर को सही बनाए रखने में भी मदद करता है। अपने गुणों के चलते यह हार्ट डिजीज के खतरे को भी कम करता है। इसके साथ ही कद्दू का जूस वजन कम करने में भी बहुत मदद करता है।”

न्यूट्रिशनिस्ट डॉ. कनिका सचदेव ने कहा कि कद्दू अपने आप में इतना गुणकारी है क‍ि यह सब्‍जी में इस्‍तेमाल किए जाने के अलावा कई और तरीके से भी लिया जा सकता है। पंपकिन (कद्दू) की स्मूदी और इसका हलवा सेहत के लिए फायदेमंद होने के साथ ही खाने में भी बेहद स्वादिष्ट होता है।

इसके अलावा यह पूजा में भी इस्‍तेमाल किया जाता है। हर साल 31 अक्टूबर को यूरोप और अमेरिका जैसे देशों में मनाए जाने वाले हैलोवीन में भी यह बेहद काम आता है। इसी के जरिए लोग अलग-अलग डरावनी आकृतियां बनाते है।

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