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कुल्लू में स्थित यह मंदिर अपनी अद्भुत वास्तुकला और आध्यात्मिक महत्व के लिए है प्रसिद्ध

कुल्लू के नग्गर में स्थित त्रिपुरा सुंदरी का मंदिर अद्भुत वास्तुकला और आध्यात्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। ये देवी, जो दस महाविद्याओं में से एक मानी जाती है, इन्हे राजघराने की कुल देवी के रूप में पूजा जाती है। इस मंदिर का निर्माण लकड़ी से किया गया है और यह स्थान देवी की पिंडी.

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कुल्लू के नग्गर में स्थित त्रिपुरा सुंदरी का मंदिर अद्भुत वास्तुकला और आध्यात्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। ये देवी, जो दस महाविद्याओं में से एक मानी जाती है, इन्हे राजघराने की कुल देवी के रूप में पूजा जाती है। इस मंदिर का निर्माण लकड़ी से किया गया है और यह स्थान देवी की पिंडी के प्रकट होने का स्थल है। माना जाता है की यहां मंदिर के बनने और देवी के प्रकट होने की कहानी ऐसी है की राजाओं के काल में इस मंदिर का निर्माण किया गया था। जब राजा ने त्रिपुरा सुंदरी से माता के यहां होने का प्रमाण मांगा तो यहां माता ने मकड़ी के जाले के रूप में अपनी पिंडी के ऊपर जला बना दिया। तभी इस मंदिर का निर्माण करवाया गया। ये भी कहा जाता है की यहां माता कन्या रूप में है। पुराने समय में एक ग्वाला यहां अपनी गाय चराने आता था और घर जाने पर वह गाय दूध देना बन कर देती थी। तब अगले दिन इस स्थान पर आकर उसने देखा कि यहां एक कन्या उस गाय का दूध पी रही है और पूछने पर वो कन्या गुम होगी. तब लोगों को यहां माता के होने का एहसास हुआ।

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