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बड़ी आंत के कैंसर में और नुक्सानदेह हो सकता है तनाव

नई दिल्ली: वैसे तो तनाव कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है। लेकिन कोलोरेक्टल कैंसर यानी बड़ी आंत के कैंसर में यह ज्यादा नुक्सान पहुंचा सकता है। एक शोध में यह बात सामने आई है। चीनी शोधकर्ताओं की एक टीम ने दिखाया कि लंबे समय तक रहने वाला तनाव आंत के माइक्रोबायोटा.

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नई दिल्ली: वैसे तो तनाव कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है। लेकिन कोलोरेक्टल कैंसर यानी बड़ी आंत के कैंसर में यह ज्यादा नुक्सान पहुंचा सकता है। एक शोध में यह बात सामने आई है। चीनी शोधकर्ताओं की एक टीम ने दिखाया कि लंबे समय तक रहने वाला तनाव आंत के माइक्रोबायोटा के संतुलन को बाधित करता है, जो फिर बड़ी आंत के कैंसर को तेजी से बढ़ाता है। वैज्ञानिकों ने शोध में पता लगाया कि कुछ खराब बैक्टीरिया से तनाव संबंधी कुछ बीमारियां हो सकती हैं। इसके साथ ही शोधकर्ताओं ने एक विशेष प्रकार के बैक्टीरिया की पहचान की, जिससे इसका इलाज किया जा सकता है। चीन की सिचुआन यूनिवर्सिटी की वैस्ट चाइना हॉस्पिटल की टीम ने आंत के माइक्रोबायोटा को खत्म करने के लिए वैनकॉमाइसिन, एम्पीसिलीन, नियोमाइसिन और मैट्रोनिडाजोल के कॉकटेल एंटीबायोटिक का इस्तेमाल किया। इसके बाद मल के माइक्रोबायोटा का प्रत्यारोपण किया गया ताकि पता लगाया जा सके कि बड़ी आंत के कैंसर की प्रगति को तेज करने में तनाव की भूमिका के लिए आंत का माइक्रोबायोटा आवश्यक है या नहीं।

परिणामों से पता चला कि लंबे समय तक चले तनाव के कारण न सिर्फ टय़ूमर का आकार तेजी से बढ़ा, बल्कि इसने आंत के लाभकारी बैक्टीरिया – विशेष रूप से लैक्टोबैसिलस जीनस – को भी कम कर दिया। विश्वविद्यालय के प्रमुख शोधकर्ता डा. किंग ली ने कहा, ‘तनाव से संबंधित बड़ी आंत के कैंसर की प्रगति को लाभकारी आंत के बैक्टीरिया में कमी के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है, क्योंकि यह कैंसर के खिलाफ शरीर की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को कमजोर करता है।’ ली ने कहा,‘मल वेिषण के माध्यम से हमने पाया कि लैक्टोबैसिलस प्लांटारम विशेष रूप से पित्त एसिड मैटाबोलिज्म को नियंत्रित करता है। इसके साथ ही ‘सीडी8 प्लस टी’ कोशिकाओं की कार्यक्षमता में सुधार करता है। यह दर्शाता है कि लैक्टोबेसिलस कैसे टय़ूमर के खिलाफ प्रतिरक्षा को बढ़ा सकता है।

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