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दिल की बीमारियों का जोखिम बढ़ाती हैं हार्मोन थैरेपी में इस्तेमाल दवाइयां

नई दिल्ली: रजोनिवृत्ति के बाद महिलाओं के लिए हार्मोन थैरेपी में इस्तेमाल की जाने वाली दवाएं हृदय रोग और खून के थक्के जमने का जोखिम बढ़ाती हैं। एक नए अध्ययन से यह बात सामने आई है। ‘हार्मोन रिप्लैसमैंट थैरेपी’ उन हार्मोन को प्रतिस्थापित करके रजोनिवृत्ति के बाद के लक्षणों से राहत दिलाती है, जिनका महिलाओं.

नई दिल्ली: रजोनिवृत्ति के बाद महिलाओं के लिए हार्मोन थैरेपी में इस्तेमाल की जाने वाली दवाएं हृदय रोग और खून के थक्के जमने का जोखिम बढ़ाती हैं। एक नए अध्ययन से यह बात सामने आई है। ‘हार्मोन रिप्लैसमैंट थैरेपी’ उन हार्मोन को प्रतिस्थापित करके रजोनिवृत्ति के बाद के लक्षणों से राहत दिलाती है, जिनका महिलाओं के शरीर में पर्याप्त उत्पादन नहीं होता।
स्वीडन स्थित उपसाला विश्वविद्यालय सहित अन्य संस्थानों के शोधकर्ताओं ने कहा कि एस्ट्रोजेन और प्रोजैस्टोजन से लैस कुछ दवाएं न सिर्फ दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ाती हैं, बल्कि दुर्लभ, लेकिन गंभीर खून के थक्कों का कारण भी बन सकती हैं, जिन्हें वेनस थ्रॉम्बोएम्बोलिज्म के नाम से जाना जाता है।

हालांकि, टिबोलोन नामक हार्मोन थैरेपी हृदय रोगों और स्ट्रोक का जोखिम तो बढ़ाती है, लेकिन इनके इस्तेमाल से खून के थक्के जमने का खतरा नहीं होता। टिबोलोन और एस्ट्रोजेन-प्रोजेस्टोजन जैसी दवाएं भारत में उपलब्ध हैं। अध्ययन के नतीजे द ब्रिटिश मैडीकल जर्नल में प्रकाशित किए गए हैं। इसमें विभिन्न हार्मोन के संयोजन और इस्तेमाल से हृदय रोग के जोखिम में होने वाली वृद्धि पर प्रकाश डाला गया है। शोधकर्ताओं ने कहा कि पिछले अध्ययनों में हार्मोन थैरेपी और हृदय रोग के खतरे के बीच संबंध होने के संकेत मिलते हैं, लेकिन विभिन्न तरह की थैरेपी से जुड़े विशिष्ट जोखिमों के बारे में जानकारी स्पष्ट नहीं है।

अध्ययन के दौरान शोधकर्ताओं ने 2007 से 2020 के बीच हुए 138 शोध का वेिषण किया, जिनमें स्वीडन की 50 से 58 साल की लगभग 9.2 लाख महिलाओं को शामिल किया गया, जिन्होंने पिछले दो वर्ष में हार्मोन थैरेपी नहीं ली थी। टिबोलोन और एस्ट्रोजन-प्रोजेस्टोजन टैबलेट उन 8 हार्मोन रिप्लेसमेंट थैरेपी में शामिल थीं, जो इन महिलाओं को सुझाई गई थीं। प्रतिभागियों में दो साल की अवधि में उच्च रक्तचाप, मधुमेह और हृदय संबंधी समस्याएं उभरने का पता लगाने के लिए राष्ट्रीय रजिस्ट्री डेटा का इस्तेमाल किया गया। इस दौरान पाया कि कुल 9,19,614 महिलाओं में से लगभग 24,100 में हृदय संबंधी समस्याएं उभरीं। एस्ट्रोजेन-प्रोजैस्टोजन या टिबोलोन युक्त गोलियां लेने से इस्केमिक हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है, जिसमें वाहिकाओं के संकुचित होने के कारण हृदय को रक्त की आपूíत कम हो जाती है।

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