भारत में राज्यसभा के सभापति (Vice President of India, को उनके पद से हटाने की प्रक्रिया संविधान में निर्धारित की गई है। यह प्रक्रिया काफी जटिल है और इसमें कई महत्वपूर्ण कदम शामिल हैं।
1. अविश्वास प्रस्ताव (No-confidence Motion):
सबसे पहले, राज्यसभा में सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है। यह प्रस्ताव केवल राज्यसभा के सदस्य ही ला सकते हैं, और इस पर चर्चा तभी हो सकती है जब इसे 14 दिन पहले नोटिस दिया जाए। अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान होता है। यदि प्रस्ताव में बहुमत मिलता है, तो सभापति को उनके पद से हटा दिया जाएगा। हालांकि, यह ध्यान रखना जरूरी है कि अब तक राज्यसभा के किसी भी सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया गया है, और किसी सभापति को पद से हटाने की प्रक्रिया भी कभी नहीं हुई।
2. संसद द्वारा विशेष प्रस्ताव:
संविधान के अनुसार, अगर राज्यसभा के सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पास हो जाता है, तो उन्हें उनके पद से हटा दिया जाता है। इसके अलावा, यदि सांसद या अन्य राजनीतिक दल सभापति के खिलाफ आरोप लगाते हैं और यह आरोप साबित होते हैं, तो संसद एक विशेष प्रस्ताव के माध्यम से उन्हें हटा सकता है।
3. संविधानिक प्रावधान:
भारतीय संविधान में स्पष्ट रूप से राज्यसभा के सभापति को उनके पद से हटाने की प्रक्रिया का उल्लेख नहीं है, लेकिन यह माना जाता है कि यह अविश्वास प्रस्ताव के माध्यम से ही संभव है। इस प्रकार, राज्यसभा के सभापति को पद से हटाने की प्रक्रिया में सबसे महत्वपूर्ण कदम अविश्वास प्रस्ताव का लाना और उस पर मतदान के जरिए बहुमत का प्राप्त होना है।
राज्यसभा में हंगामे के बीच सभापति का बयान
राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने सदन की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित करने से पहले एक महत्वपूर्ण बयान दिया। यह बयान खासतौर पर राष्ट्रवाद, देश की एकता और अखंडता से जुड़ा हुआ था। उनका संदेश था कि हम सभी को देश की एकता और सुरक्षा के प्रति पूरी तरह से प्रतिबद्ध रहना चाहिए।
राष्ट्रवाद के प्रति पूरी प्रतिबद्धता
हंगामे के बीच, जगदीप धनखड़ ने कहा कि राष्ट्रवाद के प्रति हमारी प्रतिबद्धता सौ फीसदी होनी चाहिए। उनका यह बयान यह दर्शाता है कि वे देश की एकता, अखंडता और संप्रभुता को सबसे पहले मानते हैं। उनका कहना था कि राष्ट्रवाद की भावना को लेकर किसी भी प्रकार का समझौता नहीं किया जा सकता। धनखड़ ने यह भी बताया कि उन्होंने अपने चैंबर में नेता सदन और विपक्ष के नेता के साथ बैठक की, जिसमें कई अन्य फ्लोर लीडर्स भी शामिल थे। यह बैठक विशेष रूप से उस समय की घटनाओं और राज्यसभा में हो रहे हंगामे के संदर्भ में थी।
देश की एकता, अखंडता और संप्रभुता का महत्व
सभापति ने इस मौके पर देश की एकता, अखंडता और संप्रभुता को सर्वोच्च बताया। उनका कहना था कि देश की सुरक्षा और उसकी संप्रभुता से कोई भी समझौता नहीं किया जा सकता। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि हमारी एकता और अखंडता के साथ किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ को मंजूरी नहीं दी जाएगी, चाहे वह भीतर से हो या बाहर से।
देशविरोधी ताकतों से लड़ने की प्रतिबद्धता
धनखड़ ने अंत में यह भी कहा कि हम देशविरोधी ताकतों से लड़ने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने जोर दिया कि एक राष्ट्र के रूप में हम किसी भी प्रकार की ऐसी ताकतों के खिलाफ खड़े होंगे, जो देश की एकता और सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करती हैं।