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विश्व में हर सैकंड एक व्यक्ति न्यू जैनिटल हर्पीस इन्फैक्शन से होता है प्रभावित : WHO

नई दिल्ली: विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा बुधवार को जारी नए अनुमान के अनुसार दुनियाभर में हर सैकंड कम से कम एक व्यक्ति, या सालाना 4.20 करोड़ लोग न्यू जैनिटल हर्पीस इन्फैक्शन की चपेट में आते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि लगभग 84.60 करोड़ लोग, या 15 से 49 वर्ष की आयु वर्ग में.

नई दिल्ली: विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा बुधवार को जारी नए अनुमान के अनुसार दुनियाभर में हर सैकंड कम से कम एक व्यक्ति, या सालाना 4.20 करोड़ लोग न्यू जैनिटल हर्पीस इन्फैक्शन की चपेट में आते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि लगभग 84.60 करोड़ लोग, या 15 से 49 वर्ष की आयु वर्ग में से 5 में से 1 से अधिक लोग न्यू जैनिटल हर्पीस इन्फैक्शन से पीड़ित हैं। हर्पीज सिम्प्लैक्स वायरस (एचएसवी) जिसे हर्पीज के नाम से जाना जाता है, एक आम तरह का संक्रमण है जो दर्दनाक छाले या अल्सर पैदा कर सकता है। यह मुख्य रूप से त्वचा से त्वचा के संपर्क में आने से फैलता है। इसका इलाज संभव है लेकिन इसे ठीक नहीं किया जा सकता।

आमतौर पर इन संक्रमणों के कारण कोई लक्षण नहीं होते या बहुत कम लक्षण होते हैं, कुछ मामलों में ये दर्दनाक जननांग घावों और छालों का कारण बनते हैं जो जीवन में बार-बार हो सकते हैं, जिससे काफी असुविधा होती है और अक्सर कई बार डॉक्टर के पास जाने की आवश्यकता होती है। जर्नल सैक्सुअली ट्रांसमिटेड इंफैक्शन में प्रकाशित अनुमानों से पता चला है कि 2020 में 20 करोड़ से अधिक लोगों को कम से कम एक बार ऐसा लक्षण वाला प्रकरण झेलना पड़ा। विश्व स्वास्थ्य संगठन में वैश्विक एचआईवी हैपेटाइटिस और यौन संचारित संक्रमण कार्यक्रम की निदेशक डॉ. मेग डोहर्टी ने कहा, ’जननांग दाद (जैनिटल हर्पीस) के संक्रमण से पीड़ित अधिकांश लोगों को कुछ लक्षण दिखाई देते हैं, इतने सारे संक्रमणों के बावजूद जननांग दाद अभी भी दुनियाभर में लाखों लोगों के लिए दर्द और परेशानी का कारण बनता है और पहले से ही बोङिाल स्वास्थ्य प्रणालियों पर दबाव डालता है।‘

एचएसवी 2 प्रकार के होते हैं, पहला एचएसवी-1 और दूसरा एचएसवी-2 , इन दोनों से ही जननांग हर्पीज हो सकता है। अनुमानों के अनुसार, 2020 में 52 करोड़ लोगों में जैनिटल एचएसवी 2 था, जो यौन गतिविधि के दौरान फैलता है। जैनिटल एचएसवी 2 अधिक गंभीर है और इसके बार-बार होने की आशंका काफी अधिक है। इस वायरस के संक्रमण के लगभग 90 प्रतिशत मामलों में लक्षण दिखाई देते हैं और यह एचआईवी होने के जोखिम को तीन गुना बढ़ाने से
जुड़ा है।

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