China Door : पाबंदी के बावजूद घातक प्लास्टिक डोर की बिक्री जोरों पर है। सरकार व पुलिस की लाख कोशिशों के बावजूद न तो इसकी डिमांड में कोई कमी आई है और न ही बिक्री में। पुलिस से बचने के लिए ये डोर बेचने वाले नित नए पैंतरे अपनाते हैं। अब यार्न के नाम से बिल काटकर ट्रांसपोर्ट के जरिए यह घातक डोर मंगवाई जा रही है। खरीदार को ट्रांसपोर्ट पर ही डिलीवरी दी जाती है। रास्ते में अगर डोर पकड़ी जाए तो इसकी जिम्मेदारी खरीदार की ही होती है। लोहड़ी पर पतंगबाजी का सीजन नजदीक आते ही पतंग-डोर की बिक्री के लिए दुकानें सजने लगी हैं।
पाबंदी के बावजूद हर साल करोड़ों रुपयों की प्लास्टिक डोर की बिक्री होती है। प्लास्टिक डोर के होलसेल कारोबारी तो दीवाली से पहले ही आर्डर देकर डोर मंगवाकर आगे सप्लाई कर देते हैं।
होलसेल कारोबारी पक्के ग्राहकों को ही करते हैं सप्लाई-
प्लास्टिक डोर की ब्रिकी के लिए पूरी एहतियात बरती जाती है। होलसेल कारोबारी सिर्फ पक्के ग्राहकों को ही इसकी सप्लाई करते हैं। आर्डर लेकर उन्हें सीधे ट्रांसपोर्ट से ही पेटियां उठवा दी जाती हैं। अगर, कोई नया व्यक्ति डोर की डिमांड करता है, तो उसे सीधे तौर पर न कर दी जाती है।
डोर के साथ पकड़े जाने पर 1 लाख रुपए जुर्माना व 5 साल तक की सजा का प्रावधान-
इस प्लास्टिक डोर के साथ पकड़े जाने पर नैशनल एन्वायरनमैंट प्रोटैक्शन एक्ट 1986 के तहत कार्रवाई की जाती है, जिसके तहत दोषी पाए जाने पर 5 साल की सजा और एक लाख रुपए जुर्माने का प्रावधान है।
प्लास्टिक डोर की बिक्री बंद करवाने के लिए कई वर्षो से प्रयासरत संस्था एक्शन अगेंस्ट क्रप्शन के प्रधान चंद्रकांत चड्ढा का कहना है कि कई सालों से उनकी संस्था इस घातक डोर को लेकर जागरूक करती आई है। पुलिस भी डोर बेचने वालों को पकड़कर मामले दर्ज करती है। लेकिन जब तक इसकी डिमांड बंद नहीं होगी, तब तक इसकी बिक्री पूरी तरह बंद नहीं की जा सकती। यह डोर इंसानों के साथ-साथ पशु-पक्षियों के लिए भी घातक है लेकिन सब कुछ पता होने के बावजूद लोग इसका इस्तेमाल बंद नहीं कर रहे। लोगों को इस डोर के प्रति खुद जागरूक होना होगा।
करनाल, दिल्ली व दूसरे शहरों से सप्लाई हो रही है डोर-
लुधियाना में प्लास्टिक डोर की बिक्री हरियाणा के करनाल, दिल्ली व दूसरे कुछ शहरों से हो रही है। यहां बैठे कारोबारी व्हट्सएप्प पर ही ग्राहक से रेट तय करते हैं। डोर की फुल पेमैंट पहले ऑनलाइन पर ली जाती है। पेमैंट लेने के बाद ट्रांसपोर्ट पर माल पहुंचा दिया जाता है।