यूपी डेस्क। अयोध्या के श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास का आज लखनऊ के SGPGI में निधन हो गया। अस्पताल ने इसकी पुष्टि की है। वे 87 वर्ष के थे और उनका निधन ‘ब्रेन स्ट्रोक’ के कारण हुआ। उन्हें 3 फरवरी को स्ट्रोक के कारण गंभीर हालत में लखनऊ के SGPGI अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उन्हें मधुमेह और हाई ब्लड प्रेशर की समस्या भी थी। अस्पताल द्वारा जारी की गई प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, श्री सत्येंद्र दास ने आज अंतिम सांस ली।
महंत सत्येंद्र दास का जीवन और पुजारी बनने का सफर
महंत सत्येंद्र दास का जन्म 87 साल पहले हुआ था, और वे राम मंदिर के मुख्य पुजारी के रूप में लंबे समय तक सेवा करते रहे। उन्होंने 6 दिसंबर, 1992 को अस्थायी राम मंदिर के पुजारी के रूप में अपनी सेवा शुरू की थी, जब बाबरी मस्जिद को गिराया गया था। उस समय उनकी उम्र मात्र 20 वर्ष थी।
महंत सत्येंद्र दास राम मंदिर के सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले पुजारी थे और उनका अयोध्या के साथ-साथ पूरे देश में भी बड़ा सम्मान था।
राम मंदिर आंदोलन में प्रमुख भूमिका
महंत सत्येंद्र दास अयोध्या के सबसे सुलभ संतों में से एक थे। वे निर्वाणी अखाड़े से जुड़े हुए थे। अयोध्या में राम मंदिर को लेकर चल रहे आंदोलनों और घटनाओं के बारे में मीडिया से बातचीत के दौरान वे हमेशा खुले तौर पर अपने विचार रखते थे। बाबरी मस्जिद विध्वंस के समय वे मुख्य पुजारी थे, और उस समय उनके पास केवल नौ महीने का अनुभव था।
बाबरी मस्जिद का विध्वंस भारतीय राजनीति में एक बड़ा बदलाव लेकर आया था, और इसके बाद महंत सत्येंद्र दास ने हमेशा राम मंदिर आंदोलन को लेकर मीडिया के सवालों का धैर्यपूर्वक जवाब दिया। जब रामलला की मूर्ति अस्थायी तंबू में रखी गई, तो उन्होंने पूजा भी की।
अयोध्या में महंत सत्येंद्र दास का योगदान
महंत सत्येंद्र दास ने राम मंदिर आंदोलन में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और उन्होंने हमेशा अपने कार्यों और शब्दों से अयोध्या में धर्म और आस्था की दिशा दिखाई। उनका निधन अयोध्या और पूरे देश के लिए एक बड़ी क्षति है।