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परंपरा और प्रौद्योगिकी का संगम: Harvard के प्रोफेसरों ने महाकुंभ के अनुभवों को किया साझा 

न्यूयॉर्क में भारत के वाणिज्य दूतावास ने सोमवार को एक विशेष चर्चा का आयोजन किया, जिसका शीर्षक था ‘इनसाइट्स फ्रॉम द वल्र्ड्स लाज्रेस्ट स्प्रिचुअल गैदरिंग - महाकुंभ’। 

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न्यूयॉर्क: अमेरिका के प्रतिष्ठित हार्वर्ड विश्वविद्यालय के शीर्ष प्रोफेसरों ने महाकुंभ में परंपरा एवं प्रौद्योगिकी से लेकर वाणिज्य एवं आध्यात्मिकता के मेल पर प्रकाश डाला। हार्वर्ड के प्रोफेसरों ने दुनिया के सबसे बड़े धाíमक समागम से सबक लेने और इसके अवसरों पर जोर दिया। प्रयागराज में आयोजित हो रहा महाकुंभ बुधवार को समाप्त होने वाला है। न्यूयॉर्क में भारत के वाणिज्य दूतावास ने सोमवार को एक विशेष चर्चा का आयोजन किया, जिसका शीर्षक था ‘इनसाइट्स फ्रॉम द वल्र्ड्स लाज्रेस्ट स्प्रिचुअल गैदरिंग – महाकुंभ’।

आयोजन में हार्वर्ड बिजनेस स्कूल में जॉर्ज पाउलो लेमैन के प्रोफेसर तरुण खन्ना, हार्वर्ड डिवाइनिटी स्कूल में तुलनात्मक धर्म एवं भारतीय अध्ययन की प्रोफेसर डायना ईक और हार्वर्ड बिजनेस स्कूल में बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन की सहायक प्रोफेसर टियोना जुजुल शामिल थीं। प्रोफेसरों ने 2013 में कुंभ मेला में बिताए समय के दौरान किए गए शोध से अपने अनुभव साझा किए और इस वर्ष की तीर्थयात्र के दौरान आध्यात्मिकता तथा इंजीनियरिंग से लेकर प्रशासन एवं परंपरा, प्रौद्योगिकी और अर्थशा के मेल तक विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला।

न्यूयॉर्क में भारत के महावाणिज्य दूत विनय प्रधान की मेजबानी में आयोजित इस विशेष कार्यक्रम को संबोधित करते हुए खन्ना ने कुंभ मेला में मानकों, स्वच्छता और प्रौद्योगिकी के पहलुओं को रेखांकित किया। खन्ना ने कहा, ‘‘मैं व्यक्तिगत रूप से एक शोधार्थी के रूप में परंपरा एवं प्रौद्योगिकी के इस मेल से मोहित हूं कि समाज कैसे विकसित हो रहा है। हम कुछ मूल्यों को अपने पास रखते हैं, यह एक परंपरा है जो हमारे साथ बनी रहती है लेकिन साथ में इसमें प्रौद्योगिकी की परतें जुड़ती जाती हैं।

खन्ना ने कहा कि कुंभ मेला एक ‘‘मनमोहक जगह’’ है, जहां प्रौद्योगिकी और धर्म का संगम दिखता है। उन्होंने यह भी बताया कि 2025 कुंभ को ‘स्वच्छ कुंभ’ कहा जाता है, जहां इतनी भीड़ के बावजूद ‘‘अविश्वसनीय रूप से सफाई’’ पर ध्यान दिया गया। खन्ना ने इस साल महाकुंभ में ‘‘खोया पाया’’ सेवाओं के डिजिटलीकरण की भी सराहना की और इसे ‘‘बेहद दिलचस्प’’ बताया क्योंकि ‘‘यह परंपरा और प्रौद्योगिकी के मेल के विचार का अच्छा उदाहरण है।

ईक ने अपनी प्रस्तुति में कहा कि कुंभ मेला एक ‘‘महान तीर्थयात्र’’ है। उन्होंने कहा, ‘‘यह हमें कहीं ज्यादा चकित करता है। यह सिर्फ आश्चर्यजनक तथ्य है कि यह शहर इतने कम समय में बनाया गया है और इंजीनियंिरग टीम, बिजली सबस्टेशनों, एक शहरी वातावरण, स्वास्थ्य सेवाओं और छोटे व्यवसायों के निर्माण सहित ऐसी तमाम चीजों की पूरी श्रृंखला है जो पूरी तरह से इससे जुड़ी हुई हैं।’’ ईक ने कुछ दिनों में कुशल बिल्डर द्वारा कुंभ के लिए चार से पांच सामग्रियों के साथ बनाए गए अस्थायी टेंट का जिक्र किया। उन्होंने कुंभ में तकनीकी नवाचार की भी सराहना की और इसे ‘‘असाधारण’’ बताया।

जुजुल ने 2013 में पहली बार कुंभ के लिए ईक की शोध टीम के तहत भारत की यात्र की थी। उन्होंने कुंभ में व्यवसायों और आíथक अवसरों के विकास के साथ-साथ ताíकक चुनौतियों एवं समाधानों को भी उजागर किया। जुजुल ने कहा कि वह 2037 में अगले कुंभ के लिए भारत लौटने की उम्मीद करती है।महाकुंभ मेला की शुरुआत इस साल प्रयागराज में 13 जनवरी को गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती के संगम पर हुई और बुधवार को महाशिवरात्रि पर इसका समापन होगा। उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा है कि इस साल महाकुंभ मेले में अब तक अभूतपूर्व 60 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाई है।

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