नेशनल डेस्क : लेटेस्ट सरकारी आंकड़ों के अनुसार, ऑपरेटिव Kisan Credit Card (केसीसी) खातों के तहत आने वाली राशि मार्च 2014 में 4.26 लाख करोड़ रुपये से दोगुनी से अधिक होकर दिसंबर 2024 में 10.05 लाख करोड़ रुपये हो गई है। यह कृषि में ऋण उपलब्धता और गैर-संस्थागत ऋण पर निर्भरता में कमी को दर्शाता है। ऑपरेटिव केसीसी के तहत 31 दिसंबर तक कुल 10.05 लाख करोड़ रुपये दिए गए हैं, जिससे 7.72 करोड़ किसानों को लाभ हुआ है। वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘यह कृषि और इससे जुड़ी गतिविधियों के लिए किसानों को दिए जाने वाले किफायती कार्यशील पूंजी ऋण की मात्रा में शानदार वृद्धि को दर्शाता है।’
बैंकों को 1.5 प्रतिशत की ब्याज सहायता
केसीसी एक बैंकिंग प्रोडक्ट है जो किसानों को बीज, उर्वरक और कीटनाशकों जैसे कृषि इनपुट खरीदने के साथ-साथ फसल उत्पादन और संबंधित गतिविधियों से नकदी जरूरतों को पूरा करने के लिए समय पर और किफायती ऋण प्रदान करता है। केसीसी योजना को वर्ष 2019 में पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन जैसी संबंधित गतिविधियों की कार्यशील पूंजी आवश्यकताओं को कवर करने के लिए विस्तारित किया गया था। संशोधित ब्याज अनुदान योजना (एमआईएसएस) के तहत, 7 प्रतिशत प्रति वर्ष की रियायती ब्याज दर पर 3 लाख रुपये तक के केसीसी के जरिए अल्पकालिक कृषि ऋण प्रदान करने के लिए बैंकों को 1.5 प्रतिशत की ब्याज सहायता प्रदान करती है।
किसानों के लिए बढ़े सरकारी समर्थन
मंत्रालय के अनुसार, ऋण के समय पर पुनर्भुगतान पर किसानों को 3 प्रतिशत का अतिरिक्त शीघ्र पुनर्भुगतान प्रोत्साहन प्रदान किया जाता है, जो प्रभावी रूप से किसानों के लिए ब्याज दर को घटाकर 4 प्रतिशत कर देता है। मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि 2 लाख रुपये तक के ऋण को बिना किसी जमानत के उपलब्ध करवाया जाता है, जिससे छोटे और माजर्निल किसानों के लिए ऋण तक परेशानी मुक्त पहुंच सुनिश्चित होती है। केंद्रीय बजट 2025-26 में संशोधित ब्याज अनुदान योजना के तहत ऋण सीमा को 3 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये करने की घोषणा की गई है, जिससे किसानों को और अधिक लाभ होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के तहत किसानों के लिए बढ़े सरकारी समर्थन को दर्शाते हुए, 2025-26 के बजट में कृषि के लिए आवंटन में 2013-14 के 21,933.50 करोड़ रुपये से छह गुना वृद्धि कर इसे 1,27,290 करोड़ रुपये कर दिया गया है।