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सीखने की कोई उम्र नहीं … 19 बच्चों की मां ने किया ऐसा काम अब सभी कर रहे हैरान

नेशनल डेस्क : हम्दा अल रुवैली की कहानी यह साबित करती है कि सीखने की कोई उम्र नहीं होती। वह एक ओर जहाँ 19 बच्चों की माँ हैं, वहीं दूसरी ओर उन्होंने डॉक्टरेट की डिग्री भी हासिल की है। इसके अलावा, वह खुद का बिजनेस भी करती हैं। अपनी इन सभी जिम्मेदारियों को एक साथ.

नेशनल डेस्क : हम्दा अल रुवैली की कहानी यह साबित करती है कि सीखने की कोई उम्र नहीं होती। वह एक ओर जहाँ 19 बच्चों की माँ हैं, वहीं दूसरी ओर उन्होंने डॉक्टरेट की डिग्री भी हासिल की है। इसके अलावा, वह खुद का बिजनेस भी करती हैं। अपनी इन सभी जिम्मेदारियों को एक साथ निभाने में उन्होंने अपने जीवन को कैसे संतुलित किया? यह सवाल उन्होंने हाल ही में दिए गए एक मीडिया इंटरव्यू में खुद बताया।

40 की उम्र में मिली सफलता

आपको बता दें कि हम्दा अल रुवैली ने सऊदी अरब में डॉक्टरेट की डिग्री हासिल की है, जो कोई आसान काम नहीं था। उनके पास 19 बच्चे हैं (10 बेटे और 9 बेटियां)। इसके बावजूद, उन्होंने अपनी पढ़ाई, बच्चों की परवरिश और खुद के बिजनेस को अच्छे से मैनेज किया। हम्दा ने बताया कि उनके सफलता का राज उनका समय का सही प्रबंधन है। वह दिन में काम और बच्चों की देखभाल करती हैं, और रात में अपनी पढ़ाई और ई-कॉमर्स बिजनेस का काम करती हैं।

समय का प्रबंधन और जिम्मेदारी

हम्दा का मानना है कि अव्यवस्था और बेतरतीबी उनके जीवन में नहीं होनी चाहिए। इसलिए वह हमेशा दिन की योजना सावधानी से बनाती हैं। बच्चों की परवरिश और इतने सारे कामों के बावजूद, वह कभी भी अपने पढ़ाई के सपने को नहीं छोड़तीं। उन्होंने कहा कि यह सफलता उनके परिवार के समर्थन और उनकी योजना के कारण संभव हो पाई। हम्दा ने अपनी भूमिका को एक शिक्षक के रूप में देखा, जो छात्रों से भरी क्लास को चला सकता है, और एक सेना अधिकारी के रूप में जो कई सैनिकों की देखरेख करता है।

बच्चों की शिक्षा में भी मददगार

हम्दा अपने बच्चों की शिक्षा पर भी पूरा ध्यान देती हैं। उनका कहना है कि एक बच्चे की परवरिश करना उनके लिए 10 बच्चों की परवरिश जैसा है। वह बच्चों की जरूरतों का ध्यान रखती हैं और उन्हें उनके शौक पूरे करने के लिए प्रोत्साहित करती हैं। हम्दा ने बताया कि उनके बच्चे पढ़ाई में बहुत अच्छे हैं, और उनमें से कोई भी बच्चा 94 प्रतिशत से कम अंक नहीं लाया है। कुछ बच्चों को तो 100 प्रतिशत अंक मिले हैं।

बेटी की सफलता

हम्दा ने अपनी बेटी के बारे में भी बात की, जो हाई स्कूल में पढ़ाई करती है। उनकी बेटी को रियाद में किंग अब्दुलअजीज सेंटर फॉर द गिफ्टेड से मदद मिलती है। यह दिखाता है कि हम्दा अपने बच्चों की शिक्षा को लेकर कितनी सजग हैं।

हम्दा अल रुवैली की कहानी यह साबित करती है कि कठिनाइयाँ चाहे जितनी भी हों, अगर इंसान के पास सपने हों और उनके लिए सही योजना हो, तो कोई भी लक्ष्य मुश्किल नहीं है। उनके जीवन से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि कड़ी मेहनत और समय का सही प्रबंधन से हम किसी भी लक्ष्य को हासिल कर सकते हैं।

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