संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) के नेताओं का ऐलान: शंभु और खनौरी बॉर्डर पर ही अपना आंदोलन जारी रखेंगे और दिल्ली कूच का फैसला 29 को

एक महिला का दावा-मैं शुभकरण की मां और मैं जिंदा हूं। पंजाब सरकार जब तक केस दर्ज नहीं करती, शुभकरण का अंतिम संस्कार नहीं होगा।

चंडीगढ़। शंभु और खनौरी बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) के नेताओं ने शुक्रवार को ऐलान किया है कि फिलहाल वह इन बॉर्डरों पर ही अपना आंदोलन जारी रखेंगे और दिल्ली को कूच नहीं करेंगे। शुक्रवार शाम बैठक के बाद इस संगठन के नेताओं ने प्रैस को बताया कि अब 29 फरवरी तक आंदोलन इन बॉर्डरों पर ही रहेगा और 29 फरवरी को फिर मीटिंग की जाएगी और उसमें दिल्ली कूच करने के बारे में फैसला लिया जाएगा। उन्होंने घोषणा की कि वे 24 फरवरी को ‘कैंडल मार्च’ निकालेंगे और 26 फरवरी को केंद्र का पुतला फूंकेंगे।

किसान नेता सरवन सिंह पंधेर व जगजीत सिंह डल्लेवाल ने कहा है कि शुभकरण का अंतिम संस्कार तब तक नहीं किया जाएगा, जब तक पंजाब पुलिस हरियाणा पुलिस के उन अधिकारियों के खिलाफ केस दर्ज नहीं कर लेती, जो शुभकरण के कत्ल के लिए जिम्मेदार हैं। गौरतलब है कि अभी तक शुभकरण का पोस्टमार्टम नहीं हुआ और अभी भी उसकी मृतक देह पटियाला के राजिंद्रा अस्पताल में पड़ी है। किसानों का कहना है कि जब तक पर्चा दर्ज नहीं होता, तब तक पोस्टमार्टम नहीं करवाया जाएगा। इसी दौरान एक महिला बीरपाल कौर ने दावा किया है कि वह शुभकरण की मां है और वह अपने बेटे के अंतिम दर्शन करने के लिए अस्पताल में आई है। उसने कहा कि जो प्रचार किया जा रहा है कि शुभकरण की मां मर चुकी है, वह प्रचार गलत है।

उसने बताया कि शुभकरण के पिता के साथ उसके मतभेद हो गए थे और वह अपना ससुराल का घर छोड़कर अपने मायके चली गई थी। उसके बाद उसने दूसरी शादी करवा ली थी। इस महिला का यह भी दावा किया है कि उसका अदालत में तलाक नहीं हुआ था, लेकिन पंचायती समझौते के मुताबिक उसका शुभकरण के पिता के साथ तलाक हो गया था। इसी दौरान शुभकरण की एक बहन ने कहा कि उनकी मां उनको छोड़कर बहुत साल पहले अपने मायके चली गई थी और उसके बाद उसने कभी उनके साथ संपर्क नहीं किया। अब वह 17 साल बाद आई है। जब वह छोड़कर गई थी, तब शुभकरण 2 साल का था। अब इसको शुभकरण की कैसे याद आ गई।

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