Balwant Singh Rajoana Case ; नेशनल डेस्क : सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह बलवंत सिंह राजोआना की दया याचिका पर 18 मार्च तक फैसला ले। बलवंत सिंह राजोआना को साल 1995 में पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के मामले में दोषी ठहराया गया था। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि यह केंद्र सरकार को दिया गया आखिरी मौका है। यदि केंद्र सरकार इस मामले में समय पर फैसला नहीं ले पाती है, तो अदालत मेरिट के आधार पर मामले की सुनवाई शुरू करेगी।
गंभीरता को समझते हुए विचार किया जा रहा…
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने केंद्र सरकार का पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि यह एक बहुत गंभीर मामला है, क्योंकि इसमें एक मुख्यमंत्री समेत 16 लोगों की हत्या की गई है, और सरकार इस मुद्दे पर विचार कर रही है। इससे पहले भी, सुप्रीम कोर्ट ने राजोआना की मर्सी पिटीशन पर गृह मंत्रालय से जल्द फैसला लेने का निर्देश दिया था।
27 साल से जेल में बंद हैं बलवंत सिंह राजोआना
बलवंत सिंह राजोआना लगभग 27 साल से जेल में बंद हैं। उनकी दया याचिका पिछले 12 साल से केंद्र सरकार के पास लंबित पड़ी हुई है। इस मामले में राजोआना ने यह दलील दी थी कि बम विस्फोट में मुख्यमंत्री की मौत हुई थी और जुलाई 2007 में उन्हें मौत की सजा सुनाई गई थी। हालांकि, 2010 में हाई कोर्ट ने इस सजा को बरकरार रखा था।
पेरोल पर छोड़े जाने की मांग
राजोआना की तरफ से उनके वकील मुकुल रोहतगी ने कोर्ट में दलील दी कि मौत की सजा पर इतनी लंबी देरी करना मौलिक अधिकार का उल्लंघन है। इसके अलावा, उन्होंने यह भी मांग की कि दया याचिका पर फैसला होने तक राजोआना को पेरोल पर छोड़ा जाए। सुप्रीम कोर्ट ने बलवंत सिंह राजोआना की फांसी की सजा को उम्रकैद में बदलने की मांग पर केंद्र सरकार से 18 मार्च तक फैसला लेने का निर्देश दिया है। अगर सरकार तय समय में निर्णय नहीं ले पाती, तो सुप्रीम कोर्ट मेरिट के आधार पर सुनवाई शुरू करेगा। इस मामले में केंद्र सरकार की ओर से विचार चल रहा है, जबकि राजोआना की दया याचिका 12 साल से लंबित पड़ी है।