मानहानि मामला : Rahul Gandhi को मिली जमानत, Amit Shah के खिलाफ की थी विवादित टिप्पणी

गांधी के अधिवक्ता काशी प्रसाद शुक्ला ने बताया कि राहुल सांसद-विधायक अदालत के न्यायाधीश योगेश यादव के समक्ष पेश हुए और ‘बेल बॉण्ड’ भरने के बाद अदालत ने उन्हें जमानत दे दी।

सुलतानपुरः सुलतानपुर जिले की सांसद-विधायक अदालत ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ टिप्पणी करने पर दायर मानहानि के मामले में मंगलवार को कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को जमानत दे दी। गांधी के अधिवक्ता काशी प्रसाद शुक्ला ने बताया कि राहुल सांसद-विधायक अदालत के न्यायाधीश योगेश यादव के समक्ष पेश हुए और ‘बेल बॉण्ड’ भरने के बाद अदालत ने उन्हें जमानत दे दी।

कांग्रेस की ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ के तहत अपने पूर्व संसदीय क्षेत्र अमेठी में सोमवार को रात्रि प्रवास के अगले ही दिन राहुल गांधी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ कथित आपत्तिजनक टिप्पणी करने के मामले में सुलतानपुर की सांसद-विधायक अदालत में पेश होने के लिए पहुंचे। अदालत ने ‘बेल बॉण्ड’ भरने के बाद उनकी जमानत अर्जी मंजूर कर ली हैं। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता विजय मिश्र ने राहुल के खिलाफ चार अगस्त 2018 को मानहानि का मुकदमा दायर कराया था। इसमें आरोप लगाया कि आठ मई 2018 को कर्नाटक विधानसभा चुनाव के दौरान बेंगलुरु में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में राहुल गांधी ने भाजपा के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं मौजूदा केंद्रीय गृह मंत्री को हत्या का ‘‘अभियुक्त’’ कहा था।

शिकायतकर्ता ने राहुल गांधी की उस टिप्पणी का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि ईमानदार और स्वच्छ राजनीति में विश्वास करने का दावा करने वाली भाजपा के अध्यक्ष हत्या के एक मामले में ‘‘आरोपी’’ हैं। जब गांधी ने यह टिप्पणी की तब शाह भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे।

हालांकि, राहुल गांधी की टिप्पणी से लगभग चार साल पहले ही मुंबई की एक विशेष केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) अदालत ने वर्ष 2005 के एक फर्जी मुठभेड़ के मामले में शाह को बरी कर दिया था। इसके पहले संवाददाताओं से बातचीत में मंगलवार को भाजपा नेता विजय मिश्र ने कहा, कि ‘राहुल गांधी ने अमित शाह को ‘‘हत्यारा’’ कहा था, तमाम अपशब्द कहे थे, उसे लेकर हमने एक परिवाद दाखिल की थी।’’

उन्होंने कहा, कि ‘भाजपा देश की सबसे बड़ी पार्टी है। ऐसी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष को हत्यारा कहा जाना अनुचित है। इससे हमें काफी ठेस पहुंची जिसके बाद हमारे कार्यकर्ताओं ने दबाव बनाया और हमने परिवाद दाखिल की।’’ मिश्र ने कहा, कि ‘न्यायालय ने कई बार उनको समन जारी किया। उन्होंने उसकी अनदेखी की और आज वह उसी मामले में संभवत: अदालत में पहुंच रहे हैं।’’

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