भारत और चीन ने सोमवार को संयुक्त रूप से कैलाश मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू करने का फैसला लिया है। यह फैसला दोनों देशों के बीच अच्छे द्विपक्षीय संबंधों और श्रद्धालुओं की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने इसकी जानकारी दी।
विदेश मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि दोनों पक्षों ने 2025 की गर्मियों में कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर से शुरू करने का फैसला किया, संबंधित तंत्र मौजूदा समझौतों के अनुसार ऐसा करने के तौर-तरीकों पर चर्चा करेगा। उन्होंने हाइड्रोलॉजिकल डेटा के प्रावधान और सीमा पार नदियों से संबंधित अन्य सहयोग को फिर से शुरू करने पर चर्चा करने के लिए भारत-चीन विशेषज्ञ स्तरीय तंत्र की प्रारंभिक बैठक आयोजित करने पर भी सहमति व्यक्त की।
बता दें कि साल 2020 में भारत और चीन के बीच डोकलाम में हुए विवाद के बाद इस यात्रा को रोक दिया गया था। लेकिन, अब दोनों देशों के विदेश सचिवों के बीच दो दिन तक चली बातचीत के बाद यात्रा को एक बार फिर शुरू करने का फैसला लिया गया।
दरअसल, भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री बीजिंग गए थे। यह वार्ता भारत और चीन के विदेश सचिव-उप विदेश मंत्री तंत्र के तहत हुई।
इससे पहले, अक्टूबर में कजान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात हुई थी। इस दौरान दोनों देशों ने बेहतर संबंध स्थापित करने के लिए कुछ कदम उठाने पर सहमति जताई थी।
उल्लेखनीय है कि कैलाश मानसरोवर का अधिकांश हिस्सा तिब्बत में है, जिस पर चीन अपना अधिकार जताता है। कैलाश मानसरोवर का बड़ा इलाका चीन के कब्जे में है। इसलिए यहां जाने के लिए चीन की अनुमति लेनी जरूरी होती है।
हिंदू धर्म में मान्यता है कि कैलाश पर्वत पर भगवान शिव अपनी पत्नी पार्वती के साथ रहते हैं, इसलिए, यह जगह हिंदुओं के लिए काफी पवित्र है। 2020 से पहले हर साल हजारों लोग कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर जाते थे।