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क्या है वीर बाल दिवस का इतिहास, इस दिन बच्चों को क्यों दिया जाता है पुरस्कार, जानें विस्तार से…

नई दिल्ली : आज राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुरुवार को राष्ट्रपति भवन में 17 बच्चों को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार से सम्मानित किया। बता दें कि इस बार 14 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के 17 बच्चों को यह पुरस्कार मिला, जिनमें से 7 लड़के और 10 लड़कियां शामिल हैं। इस समारोह का आयोजन दिल्ली के भारत.

नई दिल्ली : आज राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुरुवार को राष्ट्रपति भवन में 17 बच्चों को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार से सम्मानित किया। बता दें कि इस बार 14 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के 17 बच्चों को यह पुरस्कार मिला, जिनमें से 7 लड़के और 10 लड़कियां शामिल हैं। इस समारोह का आयोजन दिल्ली के भारत मंडपम में हुआ, जहां राष्ट्रपति मुर्मू ने पुरस्कार विजेताओं को सम्मानित किया। इस कार्यक्रम के दौरान पीएम मोदी भी मौजूद रहे। उन्होंने सम्मानित बच्चों से बात की। चलिए जानते है, क्या है वीर बाल दिवस का इतिहास….

वीर बाल दिवस का महत्व

दरअसल, वीर बाल दिवस हर साल 26 दिसंबर को मनाया जाता है। यह दिन खासतौर पर सिख धर्म के इतिहास से जुड़ा हुआ है और इसमें बच्चों के साहस, बलिदान और वीरता को सम्मानित किया जाता है। इस दिन को Guru Gobind Singh Ji के साहसी पुत्रों की शहादत की याद में मनाया जाता है। वीर बाल दिवस का उद्देश्य बच्चों के साहस और संघर्ष को सम्मानित करना है, खासकर उन बच्चों को जिन्होंने धर्म, देश और अपने परिवार की रक्षा के लिए अपनी जान की बाज़ी लगाई। यह दिन बच्चों को प्रेरित करने और उनके संघर्षों को उजागर करने का एक तरीका है।

 गुरु गोबिंद सिंह जी के बेटे… 

वीर बाल दिवस का इतिहास गुरु गोबिंद सिंह जी के समय से जुड़ा हुआ है। गुरु गोबिंद सिंह जी, जो सिख धर्म के दसवें गुरु थे, उनके दो छोटे बेटे साहिबज़ादा अजीत सिंह और साहिबज़ादा जुझार सिंह ने बहुत छोटी उम्र में ही शहादत दी थी। ये दोनों बेटे केवल 9 और 7 साल के थे, लेकिन उन्होंने अत्याचार के खिलाफ लड़ाई लड़ी और अपने धर्म की रक्षा के लिए जान दे दी। उनकी बहादुरी और बलिदान से सिख समाज में एक महान आदर्श की स्थापना हुई, और आज भी सिख समुदाय और पूरा देश उनके साहस को याद करता है।

वीर बाल दिवस का उद्देश्य

  1. साहस और वीरता को सम्मानित करना:
    इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य बच्चों के साहस को सम्मानित करना है, जिन्होंने अपनी छोटी उम्र में बड़े-बड़े संघर्ष किए।
  2. धार्मिक और सांस्कृतिक शिक्षा देना:
    यह दिन बच्चों को अपने धर्म और संस्कृति के प्रति जागरूक करने के लिए मनाया जाता है। इससे बच्चों में सही मार्ग पर चलने और अपने अधिकारों की रक्षा करने की भावना जागृत होती है।
  3. देशभक्ति और बलिदान को प्रेरित करना:
    वीर बाल दिवस हमें यह सिखाता है कि हमें अपने देश और धर्म की रक्षा के लिए किसी भी प्रकार का बलिदान देने के लिए तैयार रहना चाहिए।

वीर बाल दिवस को मनाने से यह संदेश मिलता है कि हमें अपने बच्चों को साहस, ईमानदारी, और बलिदान की महत्वपूर्ण बातें सिखानी चाहिए, ताकि वे अपने समाज और देश के प्रति जिम्मेदार नागरिक बन सकें।

प्रधानमंत्री मोदी की मुलाकात …

वहीं इस कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली में बच्चों से मुलाकात की और उन्हें प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार 2024 के लिए बधाई दी। उन्होंने बच्चों के साथ बातचीत की, उनका हालचाल पूछा और उन्हें ऑटोग्राफ भी दिया। पुरस्कार पाने वाले लगभग सभी बच्चों ने प्रधानमंत्री से बातचीत की और उनसे प्रेरणा ली।

प्रधानमंत्री बाल पुरस्कार का इतिहास

प्रधानमंत्री बाल पुरस्कार की शुरुआत 1996 में हुई थी। महिला और बाल विकास मंत्रालय द्वारा यह पुरस्कार उन बच्चों को दिया जाता है, जिनकी उम्र 5 से 18 साल के बीच होती है। पुरस्कार पाने वाले बच्चों को सर्टिफिकेट के साथ-साथ एक लाख रुपये की राशि भी दी जाती है।

पुरस्कार की श्रेणियां

प्रारंभ में 6 श्रेणियों में यह पुरस्कार दिया जाता था, लेकिन अब इसे बढ़ाकर 7 श्रेणियां कर दी गई हैं। ये पुरस्कार अब कला और संस्कृति, बहादुरी, नवाचार (इनोवेशन), शैक्षणिक, सामाजिक सेवा, खेल और अब साइंस और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में भी दिए जाते हैं। प्रधानमंत्री बाल पुरस्कार 2024 का उद्देश्य बच्चों के असाधारण कार्यों को सम्मानित करना और उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करना है।

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