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सुप्रीम कोर्ट ने संभल मस्जिद विवाद में निचली अदालत की कार्यवाही रोकी, सरकार से शांति बनाए रखने को कहा

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को संभल की एक निचली अदालत को चंदौसी स्थित मुगलकालीन शाही जामा मस्जिद के सव्रेक्षण मामले में कार्यवाही को अस्थायी रूप से रोकने का निर्देश दिया और उत्तर प्रदेश सरकार से हिंसा प्रभावित शहर में शांति एवं

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को संभल की एक निचली अदालत को चंदौसी स्थित मुगलकालीन शाही जामा मस्जिद के सव्रेक्षण मामले में कार्यवाही को अस्थायी रूप से रोकने का निर्देश दिया और उत्तर प्रदेश सरकार से हिंसा प्रभावित शहर में शांति एवं सद्भाव बनाए रखने को कहा। गत 19 नवंबर को संभल के दीवानी न्यायाधीश (सीनियर डिवीजन) की अदालत ने हिन्दू पक्ष की याचिका पर गौर करने के बाद ‘एडवोकेट कमिश्नर’ से मस्जिद का सव्रेक्षण कराने का एक पक्षीय आदेश पारित किया था।

याचिका में दावा किया गया था कि मस्जिद का निर्माण मुगल सम्राट बाबर ने 1526 में एक मंदिर को ध्वस्त करने के बाद कराया था। आदेश के बाद 24 नवंबर को इलाके में हिंसा हुई जिसमें 4 लोगों की जान चली गई। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की पीठ ने संभल जिले में शांति बनाए रखने के महत्व पर जोर दिया और निर्देश दिया कि मस्जिद सव्रेक्षण के बाद ‘कोर्ट कमिश्नर’ द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट को सीलबंद कर दिया जाए तथा इसे अगले आदेश तक न खोला जाए।

इसने कहा कि सव्रेक्षण आदेश के खिलाफ शाही जामा मस्जिद समिति द्वारा दायर याचिका को 3 कार्य दिवसों के भीतर इलाहाबाद हाईकोर्ट के समक्ष सूचीबद्ध किया जाना चाहिए। चीफ जस्टिस ने आदेश में लिखा, हमारा मानना है कि याचिकाकत्र्ता (मस्जिद समिति) को 19 नवंबर, 2024 के आदेश को उचित मंच पर चुनौती देनी चाहिए। इस बीच, शांति और सद्भाव बनाए रखा जाना चाहिए। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (राज्य सरकार की ओर से पेश केएम नटराज) ने यही आश्वासन दिया है। हमारा यह भी मानना है कि यदि कोई पुनरीक्षण याचिका/विविध याचिका दायर की जाती है, तो उसे 3 कार्य दिवसों की अवधि के भीतर सूचीबद्ध किया जाएगा।’

आदेश में उल्लेख किया गया कि मामला 8 जनवरी, 2025 के लिए निचली अदालत के समक्ष निर्धारित है। इसमें कहा गया, ‘हमें आशा और विश्वास है कि निचली अदालत इस मामले पर तब तक आगे नहीं बढ़ेगी जब तक मामला हाईकोर्ट के समक्ष सूचीबद्ध नहीं हो जाता। हम स्पष्ट करते हैं कि हमने मामले के गुण-दोष पर कोई राय व्यक्त नहीं की है। हम मौजूदा विशेष अनुमति याचिका का निपटारा नहीं कर रहे हैं। 6 जनवरी से शुरू होने वाले सप्ताह में (इसे) पुन: सूचीबद्ध किया जाए।’ संभल की शाही जामा मस्जिद की प्रबंधन समिति ने 28 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट का रुख किया और मुगलकालीन मस्जिद का सव्रेक्षण कराने संबंधी जिला अदालत के 19 नवंबर के आदेश को चुनौती दी तथा दीवानी न्यायाधीश के आदेश के क्रियान्वयन पर एक पक्षीय रोक लगाने का आग्रह किया।

उत्तर प्रदेश के संभल में 19 नवंबर के बाद तनाव पैदा हो गया जब अदालत के आदेश पर शाही जामा मस्जिद का सव्रेक्षण इस दावे के बाद किया गया कि उस स्थान पर पहले हरिहर मंदिर था। प्रदर्शनकारी 24 नवंबर को मस्जिद के पास एकत्र हुए और सुरक्षा कर्मियों से भिड़ गए। इस दौरान पथराव और आगजनी भी हुई। इस हिंसा में 4 लोग मारे गए और कई अन्य घायल हो गए।

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