चंडीगढ़: सतलुज यमुना लिंक (एसवाईएल) नहर के मुद्दे पर भारत सरकार के समक्ष पंजाब का पक्ष मजबूती से पेश करते हुए मुख्यमंत्री भगवंत मान ने आज स्पष्ट रूप से कहा कि पंजाब के पास हरियाणा को देने के लिए एक बूंद भी अतिरिक्त पानी नहीं है।
केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की उपस्थिति में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के साथ बैठक के बाद मुख्यमंत्री ने कहा, “हमारे 150 ब्लॉकों में से 78 प्रतिशत भूमिगत जल स्तर में कमी के कारण गंभीर खतरे के स्तर (डार्क जोन) पर पहुंच गए हैं जिसके कारण पंजाब किसी अन्य राज्य को पानी नहीं दे सकता है।”
मुख्यमंत्री ने कहा कि जब इस नहर के लिए यह पंजाब विरोधी समझौता किया गया था, तब राज्य को 18.56 मिलियन एकड़ फीट (एमएएफ) पानी मिल रहा था, जो अब घटकर 12.63 एमएएफ रह गया है। उन्होंने कहा कि अब पंजाब के पास किसी दूसरे राज्य को देने के लिए फालतू पानी नहीं है। भगवंत मान ने कहा कि वर्तमान में हरियाणा को सतलुज, यमुना और अन्य नदियों से 14.10 एमएएफ पानी मिल रहा है जबकि पंजाब को केवल 12.63 एमएएफ पानी मिल रहा है।
परियोजना का नाम और प्रस्ताव बदलने की वकालत करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि सतलुज यमुना लिंक (एसवाईएल) नहर के बजाय अब इसे यमुना सतलुज लिंक (वाईएसएल) नहर माना जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सतलुज नदी में पहले से ही पानी है, इसलिए इसमें से एक बूंद भी देने का सवाल ही नहीं है।
भगवंत मान ने कहा कि इस स्थिति को देखते हुए पंजाब को सतलुज नदी के जरिए गंगा और यमुना का पानी मुहैया कराना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह एक ठोस विकल्प है जिस पर राज्य में पानी की कमी की खतरनाक स्थिति को ध्यान में रखते हुए विचार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि छोटा राज्य होने के बावजूद हरियाणा को पंजाब से ज्यादा पानी मिल रहा है और दुख की बात यह है कि पंजाब की कीमत पर ज्यादा पानी मांगा जा रहा है. इस संदर्भ में भगवंत मान ने कहा कि जब हमारे प्रदेश के खेत सूख रहे हैं तो हरियाणा को पानी कैसे दिया जा सकता है।