चंडीगढ़: एनआईए द्वारा देशविरोधियों और आर्म्स एक्ट के तहत गिरफ्तार किए गए सुहैल अहमद भट्ट की जमानत याचिका को हाईकोर्ट ने सिरे से खारिज करते हुए कहा कि देश की सुरक्षा को खतरे में डालने के आरोपी को जमानत देना सही नहीं होगा। जस्टिस एजी मसीह एवं जस्टिस अलोक जैन की खंडपीठ ने सुहैल अहमद भट्ट द्वारा इस मामले में जमानत दिए जाने की मांग को लेकर दायर याचिका को सिरे से खारिज करते हुए यह टिप्पणी की।
बता दें कि एनआईए ने 10 अक्तूबर 2018 को पुलवामा के जाहिद गुलजार, यासिर रफीक भट्ट और मोहम्मद इदरिस को जालंधर के एक शिक्षण संस्थान के हॉस्टल से गिरफ्तार किया था। इनसे हथियार तथा विस्फोटक बरामद हुए थे और यह देश विरोधी गतिविधियों को अंजाम देने की तैयारी कर रहे थे।
उनके बयानों के आधार पर सुहैल अहमद भट्ट को गिरफ्तार किया गया था। याचिकाकर्त्ता पर आरोप है कि उसने जाहिद गुलजार को अंसर गजवात उल हिंद में शामिल होकर भारत के खिलाफ जेहाद के लिए प्रेरित किया था। इसके बाद याचिकाकर्त्ता और अन्य ने पहले डेराबस्सी पुलिस स्टेशन की रेकी की थी, जिस पर बम फैंकने का प्रयास किया गया, लेकिन सफल नहीं हो सका। इसके बाद वह सैक्टर 17 और 43 आईएसबीटी पहुंचे लेकिन वहां भी बम विस्फोट करने में सफल नहीं हुए। याचिकाकर्ता का कहना था कि इस मामले में दर्ज एफआईआर में उसका नाम नहीं था। बाद में जाहिद गुलजार के बयान पर उसका नाम एफआईआर में शामिल किया गया। याचिकाकर्ता पिछले 4 साल से जेल में है।