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action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /var/www/dainiksaveratimescom/wp-includes/functions.php on line 6114मुंबई: भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने आज कहा कि भारत का बैंकिंग क्षेत्र हाल के वर्षों की अभूतपूर्व चुनौतियों से मजबूत होकर उभरा है और आने वाले वर्षाें में विकास का समर्थन करने के लिए अच्छी स्थिति में है। दास ने यहां एक बैंकिंग सम्मेलन में कहा कि मजबूत वित्तीय प्रणाली निरंतर प्रयासों के माध्यम से बनाया जाता है। इसे संरक्षित करने की जरूरत है। रिज़र्व बैंक ने भारतीय वित्तीय प्रणाली के विश्वास कारक की सुरक्षा के लिए खुद को प्रतिबद्ध किया है।
विनियमन और पर्यवेक्षण में सुधार के हालिया प्रयास इसी मूल सिद्धांत द्वारा निर्देशित हैं। मौद्रिक प्राधिकरण, बैंकों और गैर-बैंकों के नियामक और पर्यवेक्षक, भुगतान प्रणाली और वित्तीय बाजारों के अन्य क्षेत्रों जैसी विविध जिम्मेदारियों के साथ, केन्द्रीय बैंक ने बेहतर हासिल करने के लिए अपने सभी उपकरणों – मौद्रिक नीति को मैक्रोप्रूडेंशियल विनियमन और पर्यवेक्षण के साथ संयुक्त रूप से उपयोग किया है। उन्होंने किसी भी तरह की आत्मसंतुष्टि की भावना से बचने की सलाह देते हुये कहा कि भारत की बैंकिंग और वित्तीय प्रणाली को और मजबूत करने की दिशा में अथक प्रयास जारी है।
उन्होंने कहा कि भारतीय बैंकिंग प्रणाली में उल्लेखनीय बदलाव हाल के वर्षों में भारत की सफलता की कहानी की आधारशिला रही है और वर्तमान में भारतीय बैंकिंग प्रणाली आने वाले वर्षों में विकास का समर्थन करने के लिए अच्छी स्थिति में है। उन्होंने कहा कि अभी कुछ समय पहले ही भारतीय बैंकिंग क्षेत्र कई मुद्दों से घिरा हुआ था। भारतीय बैंक गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) के उच्च स्तर से प्रभावित थे जबकि संपत्ति और इक्विटी पर रिटर्न नकारात्मक क्षेत्र में था। जून 2018 के अंत तक 11 बैंक त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई (पीसीए) के तहत थे। एक प्रमुख गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) की विफलता ने बाजार सहभागियों के बीच डर और जोखिम पैदा कर दी।
उन्होंने कहा “हम वित्तीय क्षेत्र में तनाव का सामना कर रहे थे, तब भी वर्ष 2020 की शुरुआत में COVID-19 महामारी एक झटके के रूप में आई, जिसके कारण सभी क्षेत्रों में बड़े व्यवधान पैदा हुए। पिछले पांच वर्षों के दौरान, रिज़र्व बैंक ने नियामक और पर्यवेक्षी मोर्चों पर कई पहल कीं, जबकि बैंकों ने स्वयं, अपने आंतरिक सुरक्षा तंत्र को मजबूत करके चुनौतियों का जवाब दिया। इन ठोस प्रयासों के परिणामस्वरूप, दुनिया भर में कोविड -19, भू-राजनीतिक संघर्षों और कठोर मौद्रिक नीति से उत्पन्न होने वाली कई बाधाओं के बावजूद, बैंकिंग प्रणाली में क्रमिक और लगातार बदलाव आया है।
वाणिज्यिक बैंकों (एससीबी) के सभी प्रमुख संकेतक, अर्थात् पूंजी पर्याप्तता, परिसंपत्ति गुणवत्ता और लाभप्रदता में पिछले चार वर्षों में सुधार देखा गया है। ऋण वृद्धि अब व्यापक हो गई है और वित्तीय संस्थानों के मजबूत बुनियादी सिद्धांतों द्वारा समर्थित है।”
उन्होंने कहा कि नवीनतम उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के वित्तीय संकेतक भी बैंकिंग प्रणाली के अनुरूप हैं। कुल मिलाकर, भारत का बैंकिंग क्षेत्र हाल के वर्षों की अभूतपूर्व चुनौतियों से मजबूत होकर उभरा है। उन्होंने कहा “अक्सर सवाल उठाए जाते हैं कि बैंकिंग क्षेत्र में यह बदलाव कैसे आया। इस प्रश्न पर मेरा संक्षिप्त उत्तर यह है कि यह प्रणाली में विभिन्न हितधारकों के अच्छे कार्यों का परिणाम है।”
दास ने साइबर सुरक्षा के मुद्दे पर कहा कि बैंकिंग में आईटी को अपनाने के स्पष्ट लाभ हुआ है, लेकिन इससे जुड़े जोखिमों को प्रभावी ढंग से हल करने की आवश्यकता है। विनियमित और पर्यवेक्षित संस्थाओं के विविधीकरण और जटिलता स्तरों को ध्यान में रखते हुए केन्द्रीय बैंक ने विभिन्न संस्थाओं के लिए अलग-अलग साइबर सुरक्षा बेसलाइन नियंत्रण ढांचे जारी किए हैं। उदाहरण के लिए, सहकारी बैंकों के लिए एक श्रेणीबद्ध दृष्टिकोण लागू किया गया है, जो उनके द्वारा दी जाने वाली डिजिटल सेवाओं पर निर्भर करता है। मजबूत शासन संरचनाओं, न्यूनतम सुरक्षा मानकों, आईटी और आईटीईएस आउटसोर्सिंग, व्यवसाय निरंतरता प्रबंधन, मुख्य सूचना सुरक्षा अधिकारियों की भूमिकाओं और कार्यों सहित अन्य के लिए दिशानिर्देश भी जारी किए गए हैं।