RBI का बड़ा ऐलान, NBFC में निवेश को लेकर किए कड़े नियम

  नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने वैकल्पिक निवेश कोष के जरिए पुराने ऋण को लौटाने के लिए नया कर्ज लेने की व्यवस्था (एवरग्रिनिंग) पर लगाम लगाने को लेकर कदम उठाया है। इसके तहत बैंक और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी) उस वैकल्पिक निवेश कोष की किसी भी योजना में निवेश नहीं कर सकतीं। जिसने.

 

नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने वैकल्पिक निवेश कोष के जरिए पुराने ऋण को लौटाने के लिए नया कर्ज लेने की व्यवस्था (एवरग्रिनिंग) पर लगाम लगाने को लेकर कदम उठाया है। इसके तहत बैंक और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी) उस वैकल्पिक निवेश कोष की किसी भी योजना में निवेश नहीं कर सकतीं।

जिसने वित्तीय संस्थान से पिछले 12 महीनों में कर्ज लेने वाले कर्जदाताओं की कंपनी में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से निवेश कर रखा है। बैंक और एनबीएफसी अपने नियमित निवेश गतिविधियों के तहत एआईएफ की इकाइयों में निवेश करती हैं। बैंक आॅफर एनबीएफसी आरबीआई के नियमन के दायरे में आता हैं।

उद्यम पूंजी कोष, बुनियादी ढांचा कोष, निजी इक्विटी फंड, एंजल फंड समेत अन्य वैकल्पिक निवेश कोष के अंतर्गत आते हैं। आरबीआई ने एक परिपत्र में कहा कि बैंक और एनबीएफसी के कुछ लेन-देन में एआईएफ शामिल है। इससे नियामकीय स्तर पर चिंता सामने आई है।

इसमें कहा गया है कि इन लेनदेन में एआईएफ की इकाइयों में निवेश के माध्यम से अप्रत्यक्ष कर्ज के साथ ऋण लेने वालों को विनियमित इकाइयों (बैंक और एनबीएफसी) के प्रत्यक्ष ऋण जोखिम का प्रतिस्थापन जुड़ा है।

 

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