देश की इस्पात विनिर्माण क्षमता 16.1 करोड़ टन के पार हुई : सचिव

नयी दिल्ली: देश की इस्पात विनिर्माण क्षमता 16.1 करोड़ टन को पार कर चुकी है और उद्योग लगातार वृद्धि की ओर अग्रसर है। इस्पात सचिव नागेंद्र नाथ सिन्हा ने मंगलवार को यह बात कही। राष्ट्रीय इस्पात नीति के अनुसार, भारत का 2030 तक 30 करोड़ टन इस्पात विनिर्माण क्षमता स्थापित करने का महत्वाकांक्षी लक्षय़ है।सिन्हा.

नयी दिल्ली: देश की इस्पात विनिर्माण क्षमता 16.1 करोड़ टन को पार कर चुकी है और उद्योग लगातार वृद्धि की ओर अग्रसर है। इस्पात सचिव नागेंद्र नाथ सिन्हा ने मंगलवार को यह बात कही। राष्ट्रीय इस्पात नीति के अनुसार, भारत का 2030 तक 30 करोड़ टन इस्पात विनिर्माण क्षमता स्थापित करने का महत्वाकांक्षी लक्षय़ है।सिन्हा ने राष्ट्रीय राजधानी में भारतीय इस्पात संघ (आईएसए) के चौथे इस्पात सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘हम पहले ही 16.1 करोड़ टन क्षमता पार कर चुके हैं। इसमें ब्लास्ट फर्नेस-बेसिक ऑक्सिजन फर्नेस (बीएफ-बीओएफ) के जरिये 6.7 करोड़ टन, इलेक्ट्रिक आर्क फर्नेस (ईएएफ) से 3.6 करोड़ टन और इंडक्शन फर्नेस (आईएफ) के जरिये 5.8 करोड़ टन क्षमता शामिल है।’’

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि देश का इस्पात उद्योग लगातार वृद्धि की राह पर है। सिन्हा ने कहा कि भारत दुनिया का चौथा सबसे बड़ा वाहन बाजार है और अगले 10 साल में इसके सालाना आठ से 10 प्रतिशत की दर से बढऩे की उम्मीद है। इसके अलावा विनिर्माण क्षेत्र की सालाना वृद्धि दर सात से आठ प्रतिशत रहने का अनुमान है। इस वजह से दोनों क्षेत्रों में इस्पात की मांग बढ़ रही है। सिन्हा ने कहा कि इस्पात क्षेत्र में उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (पीएलआई) बेहतर तरीके से आगे बढ़ रही है। उद्योग ने इसके तहत 29,500 करोड़ रुपये में से 10,000 करोड़ रुपये का निवेश किया है।इस्पात सचिव ने कहा कि इस क्षेत्र को कार्बन उत्सजर्न और वैश्विक बाजार की मांग से संबंधित महत्वपूर्ण चुनौतियों का भी सामना करना पड़ता है।

We are now on WhatsApp. Click to join.

उन्होंने कहा कि उद्योग की दीर्घावधि की स्थिरता और राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पर्यावरणीय लक्षय़ों को पाने के लिए कम कार्बन उत्सजर्न वाली प्रौद्योगिकियों को अपनाना, हितधारकों के साथ सहयोग और हरित व्यवहार को अपनाना जरूरी हो जाता है। यूरोपीय संघ के कार्बन सीमा समायोजन तंत्र (सीबीएएम) पर उन्होंने कहा कि इसने इस्पात उद्योग के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती खड़ी कर दी है। उन्होंने कहा, ‘‘सामान्य रूप से इस्पात विनिर्माण में कॉर्बन उत्सजर्न को कम करने की काफी गुंजाइश है।’’

- विज्ञापन -

Latest News