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Health Insurance करवाने वालों के लिए बड़ी खुशखबरी, अब अस्‍पताल में 24 घंटे भर्ती होना जरूरी नहीं

  नई दिल्‍ली: हेल्‍थ इंश्‍योरेंस (Health Insurance) अब हर आदमी की जरूरत बन गई है। इंश्‍योरेंस करवाना आजकल सभी बहुत आवश्यक मानते है। कोरोना महामारी के बाद से इसके यूजर्स की संख्‍या भी तेजी से बढ़ी है। लेकिन, बीमाधारक को परेशानी तब आती है जब कंपनियां नियमों का हवाला देकर क्‍लेम खारिज कर देती हैं।.

 

नई दिल्‍ली: हेल्‍थ इंश्‍योरेंस (Health Insurance) अब हर आदमी की जरूरत बन गई है। इंश्‍योरेंस करवाना आजकल सभी बहुत आवश्यक मानते है। कोरोना महामारी के बाद से इसके यूजर्स की संख्‍या भी तेजी से बढ़ी है। लेकिन, बीमाधारक को परेशानी तब आती है जब कंपनियां नियमों का हवाला देकर क्‍लेम खारिज कर देती हैं। बीमा नियामक ने इस दिशा में बड़ा बदलाव करते हुए ग्राहकों को तोहफा दिया है।

क्‍या हुआ बदलाव:
बीमा नियामक इरडा ने अस्‍पताल में भर्ती होने को लेकर स्‍पष्‍ट परिभाषा भी दी है। इरडा ने कहा है कि वैसे तो क्‍लेम के लिए बीमाधारक मरीज को कम से कम 24 घंटे तक अस्‍पताल की देखरेख में समय बिताना होगा, जिसमें कुछ अपवादों को शामिल किया गया है। इसमें डे-केयर नाम से नया टर्म जोड़ा गया है। इसके तहत ऐसे इलाज आएंगे जिसमें कोई सर्जरी 24 घंटे के अंदर पूरी होने या उसमें एनस्‍थीसिया का इस्‍तेमाल होने जैसी कंडीशन शाम‍िल होगी। ऐसे मामलों में 24 घंटे तक अस्‍पताल में भर्ती होना जरूरी नहीं होगा।

कौन-कौन सा इलाज होगा कवर:
ऐसे इलाज में टांसिल का ऑपरेशन, कीमोथेरेपी, मोतियाबिंद का ऑपरेशन, साइनस का ऑपरेशन, रेडियोथेरेपी, हीमोडायलिसिस, कोरोनरी एंजियोग्राफी, स्किन ट्रांसप्‍लांटेशन और घुटनों का ऑपरेशन शामिल है. इस तरह के इलाज के लिए अब बीमा धारक को 24 घंटे भर्ती होने की जरूरत नहीं।

क्‍या होगा इसका नुकसान: 
डे-केयर ट्रीटमेंट के तहत बीमा कंपनियां बिना 24 घंटे अस्‍पताल में बिताए आपको क्‍लेम तो दे देंगी, लेकिन इसमें बीमाधारक को कुछ नुकसान भी उठाना होगा। इस नियम के तहत डॉक्‍टर की परामर्श फीस, टेस्‍ट और जांच के खर्चे आदि शामिल नहीं किए जाएंगे। आउट पेशेंट केयर को भी इसी कैटेगरी में शामिल किया गया है और इसमें कुछ खर्चों को हटाकर बाकी का क्‍लेम बीमाधारक आराम से कर सकता है।

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