मुंबई: मॉरीशस के जरिए भारत में होने वाले निवेश की फिर से जांच किए जाने के संशोधित नियम से घबराए विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की चौतरफा बिकवाली से बीते सप्ताह 75 हजार अंक के शिखर से फिसले शेयर बाजार की अगले सप्ताह कंपनियों के समाप्त वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही के नतीजे और भू-राजनीतिक हालात पर नजर रहेगी। बीते सप्ताह बीएसई का तीस शेयरों वाला संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 3.32 अंक फिसलकर सप्ताहांत पर 74244.90 अंक जबकि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी 5.7 अंक बढ़कर 22519.40 अंक पर सपाट बंद हुआ। इस दौरान बीएसई की मझौली और छोटी कंपनियों के शेयरों में भी मिलाजुला रुख रहा। मिडकैप 78.49 अंक चढ़कर सप्ताहांत पर 40909.03 अंक जबकि स्मॉलकैप 160.64 गिरकर 45872.07 अंक पर रहा।
विश्लेषकों के अनुसार, अमेरिका में अपेक्षा से अधिक महंगाई, सकारात्मक रोजगार और विनिर्माण आंकड़ों के कारण जून में फेडरल रिजर्व के ब्याज दर में कटौती की निवेशकों की उम्मीद धराशायी हो गई। इसके अलावा आपूर्ति संबंधी चिंताओं के साथ-साथ मध्य पश्चिम में बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव ने कच्चे तेल की कीमतों में उछाल ला दिया है, जिससे समग्र बाजार धारणा प्रभावित हुई। इस बीच भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं, केंद्रीय बैंक की बढ़ती खरीद और सुरक्षित मांग में वृद्धि के कारण सोने की कीमतों में तेजी देखी गई। इसके विपरीत यूरोपीय केंद्रीय बैंक (ईसीबी) के निकट अवधि में संभावित दर में कटौती के संकेत से बीते सप्ताह यूरोपीय बाजारों ने मजबूत प्रदर्शन किया।