नयी दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मूल्य स्थिरता और वित्तीय स्थिरता को एक दूसरे का पूरक बताते हुये आज कहा कि वित्तीय स्थिरता से काेई समझौता नहीं किया जा सकता है। दास ने यहां कौटिल्य आर्थिक सम्मेलन को संबोधित करते हुये कहा “वास्तव में मूल्य स्थिरता वित्तीय स्थिरता के लिए एक आधार है, लेकिन दोनों के बीच संबंध पर विराम लगाना पड़ता है। हमारा प्रयास इन पूरकताओं और इनके आपस के संबंधों को यथासंभव कुशलतापूर्वक प्रबंधित करने का रहा है।
विकास के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए मूल्य स्थिरता को प्राथमिकता देते हुए हम वित्तीय स्थिरता से कोई समझौता नहीं करते हैं। हमारी नीतियां और उपकरणों के विकल्प इस समग्र दृष्टिकोण द्वारा निर्देशित होते हैं। हमने अपने व्यापक आर्थिक बुनियादी सिद्धांतों और बफ़र्स को मजबूत किया है और ये अर्थव्यवस्था को बड़े झटके झेलने और तेजी से अशांत एवं अनिश्चित वैश्विक सेटिंग में निपटने के लिए लचीलापन प्रदान कर रहे हैं।”
उन्होंने अमेरिकी फेडरल रिजर्व के पूर्व अध्यक्ष एलन ग्रीनस्पैन के इस वक्तव्य “अधिक मौलिक रूप से, अधिक आर्थिक स्थिरता का माहौल दुनिया के अधिकांश हिस्सों में प्रभावशाली विकास की कुंजी रहा है” का उल्लेख करते हुये कहा कि 12 वर्षों में भारत का आर्थिक प्रदर्शन इस दृष्टिकोण को विश्वसनीयता प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि मई 2022 और फरवरी 2023 के बीच नीतिगत दरों में 250 आधार अंकों की वृद्धि के बाद, बढ़ती मुद्रास्फीति को ध्यान में रखते हुये बढ़ोतरी की मात्रा को समायोजित किया गया है और अब तक 2023-24 में नीतिगत दरों में कोई बढोतरी नहीं की गयी है। 250 आधार अंकों की बढ़ोतरी अभी भी वित्तीय प्रणाली के माध्यम से काम कर रही है।