PLI के तहत मार्च तक 2,875 करोड़ रुपये आवंटित

नयी दिल्ली: सरकार ने उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के लाभार्थियों को मार्च तक 2,874.71 करोड़ रुपये जारी किए हैं। इससे लाभान्वित होने वाली कंपनियों में इलेक्ट्रॉनिक्स, दूरसंचार, दवा एवं खाद्य प्रसंस्करण से जुड़ी फर्मों की बहुतायत है। उद्योग संवर्द्धन एवं आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) के अतिरिक्त सचिव राजीव सिंह ठाकुर ने यहां संवाददाताओं.

नयी दिल्ली: सरकार ने उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के लाभार्थियों को मार्च तक 2,874.71 करोड़ रुपये जारी किए हैं। इससे लाभान्वित होने वाली कंपनियों में इलेक्ट्रॉनिक्स, दूरसंचार, दवा एवं खाद्य प्रसंस्करण से जुड़ी फर्मों की बहुतायत है। उद्योग संवर्द्धन एवं आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) के अतिरिक्त सचिव राजीव सिंह ठाकुर ने यहां संवाददाताओं को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि आठ उद्योग क्षेत्रों का प्रदर्शन पीएलआई योजना के तहत काफी अच्छा रहा है जबकि कुछ अन्य क्षेत्रों को अपनी रफ्तार बढ़ाने की जरूरत है। सरकार ने वर्ष 2020 में घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए पीएलआई योजना की शुरुआत की थी। इसके तहत 14 क्षेत्रों के लिए प्रोत्साहन के तौर पर कंपनियों को देने के लिए 1.97 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान रखा गया था।

उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत आठ क्षेत्रों की कंपनियों से 3,420.05 करोड़ रुपये के प्रोत्साहन दावे मिले हैं जिनमें से मार्च तक सरकार ने 2,800 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान कर दिया है। सिंह ने कहा, ‘‘अगले दो-तीन साल काफी महत्वपूर्ण होंगे और हमें उम्मीद है कि चीजें तेज रफ्तार से आगे बढ़ेंगी।’’ दिसंबर, 2022 तक सरकार को 14 क्षेत्रों में सक्रिय कंपनियों से 717 आवेदन मिले थे। इनमें कंपनियों ने 2.74 लाख करोड़ रुपये निवेश की प्रतिबद्धता जताई थी। हालांकि,सिंह ने कहा कि वास्तविकता में 53,500 करोड़ रुपये का निवेश ही हुआ है जिससे पांच लाख करोड़ रुपये की उत्पादन वृद्धि और तीन लाख से अधिक रोजगार पैदा हुए हैं। पीएलआई योजना के तहत सबसे ज्यादा 1,649 करोड़ रुपये इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र को आवंटित किए गए थे। इसके अलावा दवा क्षेत्र को 652 करोड़ रुपये और खाद्य उत्पाद क्षेत्र को 486 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि दी गई। इस योजना के दायरे में कुछ अन्य क्षेत्रों को भी शामिल किए जाने की संभावना के बारे में पूछे जाने पर सिंह ने कहा कई उद्योगों से इस तरह की मांग सामने आ रही हैं लेकिन अभी तक कोई फैसला नहीं किया गया है।

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