शुभ विक्रम संवत्-2079, शक संवत्-1944, हिजरी सन्-1443, ईस्वी सन्-2023 संवत्सर नाम-राक्षस अयन-उत्तरायण मास-माघ पक्ष-शुक्ल ऋतु-शिशिर वार-शुक्रवार तिथि (सूर्योदयकालीन)-त्रयोदशी नक्षत्र (सूर्योदयकालीन)-पुनर्वसु योग (सूर्योदयकालीन)-विषकुम्भ करण (सूर्योदयकालीन)-तैतिल लग्न (सूर्योदयकालीन)-मकर शुभ समय- 7:30 से 10:45, 12:20 से 2:00 तक राहुकाल-प्रात: 10:30 से 12:00 बजे तक दिशा शूल-वायव्य योगिनी वास-दक्षिण गुरु तारा-उदित शुक्र तारा-उदित चंद्र स्थिति-कर्क व्रत/मुहूर्त-प्रदोष व्रत (पंचांग भेद)/गुरु.
अंक 1 अभी आप पार्टी भरा जीवन चाहते हैं, ताकि क्लबों और समूहों में अपने दोस्तों के साथ समय बिताएं। प्रशिक्षण में भाग लेने और नए कौशल सिखने के लिए कड़ी मेहनत करना जारी रखें। बातचीत में दुश्मन के इरादों को नजरअंदाज करें। अंक 2 आज नए सम्बन्ध बनाने और व्यस्त रहने का योग है।.
मेष आज का दिन आपके लिए रचनात्मक कार्यों से जोड़कर नाम कमाने के लिए रहेगा। आप अपनी वाणी व व्यवहार लोगों को अपनी ओर आकर्षित करने मे कामयाब रहेगे। आपको कोई महत्वपूर्ण निर्णय सूझबूझ कर लेना होगा और आप अपने जीवनसाथी को कोई सरप्राइज़ दे सकते हैं। यदि काम को लेकर परेशान चल रहे थे,.
अंक 1 अभी आपका ध्यान ऋण और बाधाओं पर हो सकता है जिसके कारण आप चिंतित रहेंगे। कड़ी मेहनत करना जारी रखें इससे आपकी सभी बाधाएं दूर हो जाएँगी। खाली समय में की जाने वाली गतिविधियों के लिए समय निकालें। अंक 2 नए निजी और व्यावसायिक संबंधों के लिए भविष्य की योजनाएं बनाने के लिए.
मेष आज का दिन सामाजिक क्षेत्रों में कार्यरत लोगों के लिए उत्तम रहने वाला है। भगवान के प्रति आस्था बढ़ेगी और वह कुछ महत्वपूर्ण चर्चाओं में भी सम्मिलित हो सकते हैं। आप अपने महत्वपूर्ण कार्यों में किसी बाहरी व्यक्ति से सलाह मशवरा ना करें। बाहरी व्यक्तियों से आज आपका मेल-जोल बना रहेगा। यदि आप एक.
शुभ विक्रम संवत्-2079, शक संवत्-1944, हिजरी सन्-1443, ईस्वी सन्-2023 संवत्सर नाम-राक्षस अयन-उत्तरायण मास-माघ पक्ष-शुक्ल ऋतु-शिशिर वार-बुधवार तिथि (सूर्योदयकालीन)-एकादशी नक्षत्र (सूर्योदयकालीन)-मृगशिरा योग (सूर्योदयकालीन)-ऐंन्द्र करण (सूर्योदयकालीन)-विष्टि लग्न (सूर्योदयकालीन)-मकर शुभ समय- 6:00 से 9:11, 5:00 से 6:30 तक राहुकाल- दोप. 12:00 से 1:30 बजे तक दिशा शूल-ईशान योगिनी वास-आग्नेय गुरु तारा-उदित शुक्र तारा-उदित चंद्र स्थिति-मिथुन व्रत/मुहूर्त-जया एकादशी व्रत.
सोरठि महला ३ दुतुकी ॥ निगुणिआ नो आपे बखसि लए भाई सतिगुर की सेवा लाइ ॥ सतिगुर की सेवा ऊतम है भाई राम नामि चितु लाइ ॥१॥ हरि जीउ आपे बखसि मिलाइ ॥ गुणहीण हम अपराधी भाई पूरै सतिगुरि लए रलाइ ॥ रहाउ ॥ कउण कउण अपराधी बखसिअनु पिआरे साचै सबदि वीचारि ॥ भउजलु पारि.