नई दिल्ली: एक शोध में यह बात सामने आई है कि डिप्रैशन और एंग्जाइटी के इलाज के लिए आमतौर पर दी जाने वाली दवाएं मस्तिष्क की कार्यप्रणाली और याददाश्त को बेहतर बनाने में भी मदद कर सकती है। जर्नल बायोलॉजिकल साइकियाट्री में प्रकाशित शोध से पता चला है कि एसएसआरआई (सिलेक्टिव सेरोटोनिन रीअपटेक इनहिबिटर्स) डिप्रैशन.
आज के समय में हर इंसान अपने काम में इतना व्यस्त है कि उसके पास अपनी नींद पूरी करने के लिए भी समय नहीं है। घर देरी से आना और सुबह जल्दी घर से निकलने के चक्कर में व्यक्ति अपनी नींद के साथ समझौता कर लेता है
डिजिटल युग में हर पेशे के लोग ज्यादा समय कुर्सी पर बैठकर गुजारते हैं। यह उनका शौक नहीं, मजबूरी है। आप चाहे घर से काम करें या ऑफिस से, आपको सात से आठ घंटे कुर्सी पर हर हाल में बैठना है। लंबे समय तक कुर्सी पर बैठे रहना
खराब खान-पान और मनासिक तनाव के चलते लोगों में समय से पहले बाल सफेद होने लगते हैं। हालांकि, अगर जीवनशैली में कुछ बदलाव किया जाए, तो इसे नियंत्रित किया जा सकता है। हाल में हुए एक शोध में पता चला है कि
मोशन सिकनेस को यात्रा बीमारी के नाम से जाना जाता है। दरअसल, जब हम किसी वाहन, जैसे कार, बस, नाव या विमान में होते हैं और सफर के दौरान हमें चक्कर, मतली, उल्टी का अनुभव होता है, उसे मोशन सिकनेस कहा जाता है
नई दिल्ली। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के महानिदेशक टेड्रोस एडनोम ग्रेब्रेयेसस ने शुक्रवार को असुरक्षित भोजन से निपटने में खाद्य नियामकों की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला और कहा कि इससे हर साल खाद्य जनित बीमारियों के 60 करोड़ मामले सामने आते हैं और 4,20,000 लोग अपनी जान गंवा देते हैं। दिल्ली में आयोजित दूसरे.
सुबह ड्यूटी पर जाने की आपाधापी और शाम को घर जाने की जल्दबाजी में अक्सर हमारी रातों की नींद प्रभावित हो जाती है। क्योंकि, काम का दबाव ही कुछ ऐसा होता है कि हम ठीक से नींद नहीं ले पाते हैं। काम के बोझ की वजह से मानसिक
डिमेंशिया एक ऐसी बीमारी होती है, जिसमें व्यक्ति की याददाश्त, भाषा, समस्या-समाधान के अलावा सोचने- समझने की क्षमता कम हो जाती है। अल्जाइमर डिमेंशिया का सबसे प्रमुख कारण है। इस बीमारी में लोगों को बढ़ती उम्र के साथ