भगवान सूर्य देव जी को अर्घ्य देते समय इन मंत्रों का करें जाप, मिलेगा दोहरा लाभ

हिंदू धर्म में सूर्य देवता को अर्घ्य देने का बहुत अधिक महत्व माना गया है। माना जाता है कि अगर आप सूर्य देव जी को प्रसन्न करना चाहते है तो हर सुबह उन्हें अर्घ्य दे। सूर्य देव को खुश रखने से भाग्योदय होता है और मनुष्य को सांसारिक सुख के साथ मानसिक सुख की प्राप्ति.

हिंदू धर्म में सूर्य देवता को अर्घ्य देने का बहुत अधिक महत्व माना गया है। माना जाता है कि अगर आप सूर्य देव जी को प्रसन्न करना चाहते है तो हर सुबह उन्हें अर्घ्य दे। सूर्य देव को खुश रखने से भाग्योदय होता है और मनुष्य को सांसारिक सुख के साथ मानसिक सुख की प्राप्ति होती है। माना जाता है की सूर्य को अर्घ्य देते समय कुछ मंत्रों का जप करने से बहुत से लाभ मिलते है और इसका अधिल लाभ मिलता है। आज हम आपको सूर्य अर्घ्य के समय कुछ मंत्रों के जप के बारे में बताने जा रहे है। तो आइए जानते है क्या है वह कुछ मंत्र:

सूर्य को अर्घ्य देते समय करें ये विधि
सबसे पहले स्नान करें, उसके बाद सफेद वस्त्र धारण करना चाहिए और सूर्य देवता का मन में संकल्प लेकर भगवान सूर्य को तांबे के कलश में गंगा जल, अक्षत, काला तिल , गुड़, फूल डालकर सूर्य देवता को अर्घ्य दें. इससे सूर्य देवता बेहद प्रसन्न होते हैं और आपको कभी किसी चीज की परेशानी नहीं होती है और आपके काम बिना किसी रुकावट के पूरे होते हैं.

दूसरी तरफ अगर आप सूर्य देवता का संकल्प कर पूजा कर रहे हैं, तो मौन होकर देवालय जाएं. उसके बाद आसन पर बैठकर अपने सिर को कपड़े से ढककर फूलों से सूर्य भगावन की पूजा करें. इसके बाद गायत्री मंत्र का 11 बार जाप करें. गुग्गुल का धूप अवश्य जलाएं.

सूर्य देवता को अर्घ्य देते समय करें इन मंत्रों का जाप
सूर्य देवता को अर्घ्य देते समय इस मंत्र को 11 बार अपने मन में बोलकर जाप करें.
एहि सूर्य सहस्त्रांशो तेजोराशे जगत्पते.
अनुकम्पां हि मे कृत्वा गृहाणार्घ्यं दिवाकर

सूर्य देवता का आप इस तरीके से कर सकते हैं पूजन
अगर आप भगवान सूर्य देव की उपासना कर रहे हैं, तो ‘ऊं आदित्य नम: या ऊं घृणि सूर्याय नमः’ मंत्रोच्चारण करें.
इससे आपके जीवन में हमेशा उन्नति के मार्ग खुलेंगे.

सूर्य देव की करें आरती

ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।
जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।
धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।

सारथी अरुण हैं प्रभु तुम, श्वेत कमलधारी। तुम चार भुजाधारी।।
अश्व हैं सात तुम्हारे, कोटि किरण पसारे। तुम हो देव महान।।

।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।

ऊषाकाल में जब तुम, उदयाचल आते। सब तब दर्शन पाते।।
फैलाते उजियारा, जागता तब जग सारा। करे सब तब गुणगान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।

संध्या में भुवनेश्वर अस्ताचल जाते। गोधन तब घर आते।।
गोधूलि बेला में, हर घर हर आंगन में। हो तव महिमा गान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।

देव-दनुज नर-नारी, ऋषि-मुनिवर भजते। आदित्य हृदय जपते।।
स्तोत्र ये मंगलकारी, इसकी है रचना न्यारी। दे नव जीवनदान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।

तुम हो त्रिकाल रचयिता, तुम जग के आधार। महिमा तब अपरम्पार।।
प्राणों का सिंचन करके भक्तों को अपने देते। बल, बुद्धि और ज्ञान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।

भूचर जलचर खेचर, सबके हों प्राण तुम्हीं। सब जीवों के प्राण तुम्हीं।।
वेद-पुराण बखाने, धर्म सभी तुम्हें माने। तुम ही सर्वशक्तिमान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।

पूजन करतीं दिशाएं, पूजे दश दिक्पाल। तुम भुवनों के प्रतिपाल।।
ऋतुएं तुम्हारी दासी, तुम शाश्वत अविनाशी। शुभकारी अंशुमान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।

ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।
जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।स्वरूपा।।
धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।

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