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action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /var/www/dainiksaveratimescom/wp-includes/functions.php on line 6114बस्ती: उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में मनवर “ मनोरमा नदी’’ के किनारे मख धाम मखौड़ा में गुरु वशिष्ठ की आज्ञा से त्रेता युग में अयोध्या के चक्रवर्ती सम्राट महाराजा दशरथ के द्वारा पुत्रेष्ठि यज्ञ किया गया था । इस यज्ञ से प्राप्त खीर को खाने के बाद मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न का जन्म हुआ था, आज भी यहां पुत्र प्राप्ति के लिए प्रार्थना यज्ञ किया जाता है।
पौराणिक मान्यता है कि जब चक्रवर्ती सम्राट महाराजा दशरथ द्वारा पुत्रेष्ठि यज्ञ किया जा रहा था तब मनवर “ मनोरमा नदी’’ मे घी की धारा प्रवाहित हो रही थी। बस्ती के मखधाम “ मखौड़ा’’ की भूमि को मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के जन्म प्रसंग का निमित्त बनने का गौरव प्राप्त है, अयोध्या को पूरा विश्व भगवान राम की जन्मस्थली के रूप में जानती है लेकिन भगवान श्रीराम की उद्भव स्थली बस्ती जनपद में स्थित मखधाम ’’मखौड़ा’’ है।
परशुरामपुर क्षेत्र में मनवर यानी मनोरमा नदी के किनारे स्थित मखौड़ा धाम ही वह सौभाग्यशाली स्थान है जहां राजा दशरथ ने पुत्रेष्ठि यज्ञ कराया था। मखौड़ा धाम में जिस जगह राजा दशरथ ने यज्ञ कराया था यज्ञ संपन्न हुआ तो यज्ञ कुंड से अग्निदेव स्वंय खीर का पात्र लेकर प्रकट हुए। इस खीर को राजा ने तीनों रानियों को बांट दिया। खीर खाने के कुछ दिन बाद माता कौशल्या के गर्भ से भगवान श्रीराम, माता कैकई के गर्भ से भरत और माता सुमित्रा के गर्भ से लक्ष्मण और शत्रुघ्न का जन्म हुआ।
यज्ञ का स्थान आज भी संरक्षित है और बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए पहुंचते हैं। पौराणिक महत्व की यह जगह श्रद्धालुओं के लिए आज भी बेहद खास है। गुरु वशिष्ठ ने शृंगी ऋषि से यज्ञ कराने की सलाह दी थी। श्रृंगी ऋषि का आश्रम स्थल आज श्रीगिनारी के रूप में जाना जाता है आज भी लोग संतान प्राप्ति के लिए यहां यज्ञ करते हैं और उनकी मनोकामना पूरी होती है।
इतना ही नहीं अयोध्या की चैरासी कोसी परिक्रमा देश व दुनिया के साधु-संत मखौड़ा से ही शुरू करते है। पुरातन काल से ही मखधाम से 84 कोसी परिक्रमा चैत्र माह की पूर्णिमा से शुरू होकर यहीं समाप्त होती है । अयोध्या से मखौड़ा, रामजानकी मार्ग होते हुए रामरेखा चकोही बाग से पुनः अयोध्या तक फैले 84 कोस अवध प्रदेश में चैत्र पूर्णिमा से बैषाख जानकी नवमी तक सभी देवों का वास होता है।
बस्ती जिले मे राम-जानकी मार्ग भी है। ऐसा मान्यता है कि परिक्रमा कर भक्त जन्म जन्मान्तर के बंधन से मुक्त हो जाते हैं। अयोध्या से मखौड़ा धाम तक हवन के लिए घी लाने के लिए बनाए गए घृत नाले का अवशेष वर्तमान में जिले की सीमा घघौवा पुल से होकर रिधौरा ग्राम पंचायत होते हुए गोंडा बस्ती की सीमा से सटा हुआ हैदराबाद , सिकंदरपुर, चैरी, नंदनगर,करिगहना होते हुए जमौलिया के रास्ते मखौड़ा धाम तक मौजूद है।
बस्ती शहर मुख्य रेलवे लाइन से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। मुख्य रेल लाइन लखनऊ को गोरखपुर से जोड़ती है,यह लखनऊ से 214 किलोमीटर पर स्थित है और गोरखपुर से 72 किलोमीटरपर स्थित है। मखधाम मखौड़ा के आसपास क्षेत्रो मे तम्बाकू की खेती अधिक होती है यहां के किसान तम्बाकू की खेती करके अच्छी खासी आमदनी बना लेते है।
आज भी यह मान्यता है कि जो लोग इस पावन तट पर स्थित क्षेत्र में हवन यज्ञ आदि संस्कार कराते हैं तो उनके मनोरथ सफल हो जाते हैं, जिसके चलते आज भी लोग आए दिन पवित्र मास में मंदिर में भंडारे आदि का आयोजन कराते रहते हैं। इसी क्रम में लोक कल्याण हेतु साधू संतों द्वारा बीते वर्ष कार्तिक पूर्णिमा से सतत बारह वर्षों तक चलने वाला अखंड राम नाम का जप प्रारंभ हुआ जो कि सतत चल रहा है। बस्ती जिला सीधे हवाई सेवा से जुड़ा नहीं है, निकटतम हवाई अड्डा गोरखपुर है जो बस्ती 82 किमी पर है।
सिद्वार्थनगर जिले के विकास खण्ड डुमरियागंज मे भारतभारी कई इतिहास समेटे हुए है ऐसा माना जाता है कि जब त्रेता युग में युद्ध के दौरान जब मेघनाथ द्वारा लक्ष्मण पर वीरघातिनीवाण का प्रयोग किया तो लक्ष्मण जी मूर्छित हो गये फिर सुषेन वैद्य के कहने पर हनुमान जी संजीवनी बूटी लेकर आकाश मार्ग से लौट रहे थे तो इसी स्थल पर पूजा कर रहे भरत ने अयोध्या का कोई शत्रु समक्ष कर वाण चला दिया, वाण लगने से हनुमान जी पर्वत के साथ वही गिर पड़े जिससे गिरने वाले स्थान पर बड़ा सा गड्ढा हो गया जो आज भी मौजूद है।
वर्तमान समय मे भारतभारी को नगर पंचायत का दर्जा भी मिल गया है। आज भी खुदाई करते समय मूर्तियां,नर कंकाल मिलते है। यहां से प्राप्त हुई मूर्तिंया गोरखपुर विश्वविद्यालय के प्राचीन इतिहास विभाग के संग्रहालय में भी देखा जा सकता है।यहां पर स्थित भरतकुंड जलाशय, शिव मंदिर, राम जानकी मंदिर, मां दुर्गा व हनुमान जी का भव्य मंदिर धार्मिक स्थल की शोभा बढ़ाने के साथ श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करते है। भरतकुंड सरोवर का पानी हमेशा स्वच्छ व निर्मल बना रहता है। इस सरोवर में घास-फूस तक नही जमते। कार्तिक पूर्णिमा के अलावा विभिन्न त्यौहारों पर भी यहां मेले का आयोजन किया जाता है।