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बस्ती के मखौड़ा धाम में पुत्रेष्ठि यज्ञ से प्राप्त खीर को खाने के बाद हुआ था श्रीराम का जन्म

यज्ञ का स्थान आज भी संरक्षित है और बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए पहुंचते हैं।

रामोत्सव 2024ः हर साल रामनवमी पर भगवान सूर्य करेंगे श्रीराम का अभिषेक, दोपहर 12 बजे दमकेगा प्रभु का ललाट

योगीराज में ना सिर्फ दिव्य रूप में संवर रही अयोध्या, श्रीराम की मूर्ति भी होगी अलौकिक। श्रीराम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव ने प्रभु की मूर्ति का किया बखान। देवत्व और राजपुत्र के साथ ही पांच वर्ष के बच्चे की मासूमियत वाली है प्रभु श्रीराम की प्रतिमा। प्रभु प्रेरणा से स्वीकार की गई है 51 इंच की श्रीराम की मूर्ति, वजन है डेढ़ टन। 16 जनवरी से प्रारंभ हो जाएगी मूर्ति की पूजा विधि, 18 जनवरी को गर्भगृह में हो जाएंगे विराजमान। जल और दूध का ना मूर्ति पर पड़ेगा प्रभाव, ना ही आचमन से होगा कोई दुष्प्रभाव।

क्या आप जानते हैं बस्ती के मखौड़ा धाम में पुत्रेष्टि यज्ञ से प्राप्त खीर को खाने के बाद हुआ था श्रीराम का जन्म

बस्ती: उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में मनवर “ मनोरमा नदी’’ के किनारे मख धाम मखौड़ा में गुरु वशिष्ठ की आज्ञा से त्रेता युग में अयोध्या के चक्रवर्ती सम्राट महाराजा दशरथ के द्वारा पुत्रेष्ठि यज्ञ किया गया था । इस यज्ञ से प्राप्त खीर को खाने के बाद मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम, लक्ष्मण, भरत और.

जानिए श्रीराम भक्त हनुमान जी के सालासर धाम के बारे में

बालाजी श्रीराम भक्त हनुमान का दूसरा नाम है। बालाजी धाम के नाम से देश में कई तीर्थ विकसित हैं। इनमें मेहंदीपुर के बालाजी, पाण्डू पोल के बालाजी (अलवर) चांदपोल के बालाजी (जयपुर), गोदावरी धाम के बालाजी (कोटा) ये सभी श्रद्धालुओं के मन में अपनी महत्ता रखते हैं। लाखों दर्शनार्थी प्रतिवर्ष यहां दर्शनार्थ आते हैं। राजस्थान.

22 जनवरी 2024 को भव्य मंदिर में विराजमान होंगे श्रीराम, अपने घर-आंगन को सजाएगी Ayodhya

विदेशी पर्यटक भी कह रहे- पहले सुना, फिर जाना अब देख रहे नव्य अयोध्या

श्रीराम के वनागमन की सांध्य बेला पर अयोध्या में जलेंगे 24 लाख दीये

अयोध्या: श्रीरामजन्मभूमि पर अगले साल 22 जनवरी को भव्य राममंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से पहले 11 नवंबर को दीपोत्सव पर 24 लाख दीप जलाकर अयोध्या के घाटों को जगमगाने की तैयारी की जा रही हैं। डॉ राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस बार के दीपोत्सव में विश्व कीर्तिमान स्थापित करने के लिए.

जब श्री राम ने सुलोचना को लौटा दिया इंद्रजीत का कटा हुआ शीश

भहर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित हिंदू धर्मग्रंथ ‘रामायण’ में उल्लेख मिलता है कि रावण के बेटे का नाम मेघनाद था। उसका एक नाम इंद्रजीत भी था। दोनों नाम उसकी बहादुरी के लिए दिए गए थे। दरअसल मेघनाद, इंद्र पर जीत हासिल करने के बाद इंद्रजीत कहलाया और मेघनाद, का मेघनाद नाम मेघों की आड़ में युद्ध.
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