रुद्रप्रयाग: दुनिया के सबसे ऊंचाई पर स्थित शिव मंदिरों में से एक तुंगनाथ धाम के कपाट बुधवार को विधि विधान के साथ शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे जिसे लेकर सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। अब अगले 6 महीने तक मक्कूमठ में बाबा तुंगनाथ के दर्शन कर सकेंगे। बीते 26 अप्रैल को तुंगनाथ धाम के कपाट खोले गए थे जो आज यानी 1 नवंबर को शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे। वहीं अब तक बाबा तुंगनाथ धाम के दरबार में 1 लाख 33 हजार से ज्यादा श्रद्धालु दर्शन करने पहुंच चुके हैं।
इस बार देवभूमि में आए तीर्थ यात्रियों ने पुराने सारे रिकॉर्ड तोड़ कर कई नए कीर्तमिान स्थापित किए। वहीं तुंगनाथ धाम में भी इस बार क्षमता से ज्यादा तीर्थ यात्रियों के पहुंचने से नया कीर्तमिान स्थापित हुआ है। अभी तक 1 लाख 33 हजार से ज्यादा श्रद्धालुओं ने बाबा तुंगनाथ के दर्शन किए हैं। इससे पहले तुंगनाथ धाम में दर्शन करने वाले तीर्थ यात्रियों की संख्या 27 हजार तक सिमटकर रह जाती थी। लेकिन इस बार यह रिकॉर्ड टूटा है। प्रबंधक बलवीर सिंह नेगी ने बताया कि तुंगनाथ धाम में अभी तक 64,403 पुरुष, 45,621 महिलाएं, 21,811 बच्चे और 1,594 साधु संत समेत 1 लाख 33 हजार 429 तीर्थयात्री आशीर्वाद ले चुके हैं।
मंदिर समिति के सदस्य श्रीनिवास पोस्ती ने बताया कि भगवान तुंगनाथ के कपाट बंद होने की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। भगवान तुंगनाथ के कपाट बंद होने के बाद चल विग्रह उत्सव डोली कैलाश से रवाना होगी जो विभिन्न यात्रा पड़ावों पर भक्तों को आशीष देते हुए और सुरम्य मखमली बुग्यालों में नृत्य कर प्रथम रात्रि प्रवास के लिए चोपता पहुंचेगी। उसके बाद 2 नवंबर को भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली बनियाकुंड, दुगबिट्टा, मक्कू बैंड होते हुए हूहू और वनातोली पहुंचेगी, जहां ग्रामीणों की ओर से भगवान तुंगनाथ की डोली को अर्घ्य अर्पति कर क्षेत्र की खुशहाली की कामना की जाएगी।
इसके बाद भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली अंतिम रात्रि प्रवास के लिए भनकुंड पहुंचेगी। पोस्ती ने बताया कि 3 नवंबर को भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली शीतकालीन गद्दीस्थल मक्कूम में विराजमान होगी। 4 नवंबर से भगवान तुंगनाथ की शीतकालीन पूजा मक्कूमठ में वैदिक मंत्रोच्चार के साथ शुरू होगी।डोली प्रभारी प्रकाश पुरोहित ने बताया कि भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली के शीतकालीन गद्दीस्थल मक्कूमठ आगमन पर भोज का आयोजन किया जाएगा। जिसकी सभी तैयारियां कर ली गई है। भगवान तुंगनाथ की चारों चरणों की दिवारा यात्रा के बाद पांचवें चरण में भोज के आयोजन की परंपरा है। भगवान तुंगनाथ के चार चरणों की दिवारा यात्रा पहले ही संपन्न हो चुकी है।