हुक्मनामा श्री हरिमंदिर साहिब जी 24 सितंबर 2023

सोरठि महला ५ ॥ ठाढि पाई करतारे ॥ तापु छोडि गइआ परवारे ॥ गुरि पूरै है राखी ॥ सरणि सचे की ताकी ॥१॥ परमेसरु आपि होआ रखवाला ॥ सांति सहज सुख खिन महि उपजे मनु होआ सदा सुखाला ॥ रहाउ ॥ हरि हरि नामु दीओ दारू ॥ तिनि सगला रोगु बिदारू ॥ अपणी किरपा धारी.

सोरठि महला ५ ॥
ठाढि पाई करतारे ॥ तापु छोडि गइआ परवारे ॥ गुरि पूरै है राखी ॥ सरणि सचे की ताकी ॥१॥ परमेसरु आपि होआ रखवाला ॥ सांति सहज सुख खिन महि उपजे मनु होआ सदा सुखाला ॥ रहाउ ॥ हरि हरि नामु दीओ दारू ॥ तिनि सगला रोगु बिदारू ॥ अपणी किरपा धारी ॥ तिनि सगली बात सवारी ॥२॥ प्रभि अपना बिरदु समारिआ ॥ हमरा गुणु अवगुणु न बीचारिआ ॥ गुर का सबदु भइओ साखी ॥तिनि सगली लाज राखी ॥३॥बोलाइआ बोली तेरा ॥ तू साहिबु गुणी गहेरा ॥ जपि नानक नामु सचु साखी ॥ अपुने दास की पैज राखी ॥४॥६॥५६॥

हे भाई! जिस मनुष के अन्दर करतार ने ठंड डाल दी, उस के परिवार को (उस के ज्ञान-इन्द्रिय को विकारों का ) ताप छोड जाता है। हे भाई! पूरे गुरु ने जिस मानुष की मदद की है, उस ने सदा कायम रहने वाले परमात्मा का सहारा देख लिया ॥੧॥ हे भाई! जिस मनुख का रक्षक परमात्मा बन जाता है, उस का मन सदा के लिए सुखी हो जाता है (क्योकि उस के अंदर ) एक पल में आत्मक अडोलता का सुख और शांति पैदा हो जाती है ॥ रहाऊ ॥ हे भाई! ( विकार- रोगों का इलाज करने के लिए गुरु ने जिस मानुष को ) परमात्मा का नाम-दवाई दी, उस (नाम-दारू) ने उस मानुष का सारा ही (विकार) रोग काट दिया। जब प्रभु ने उस मानुष पर अपनी मेहर की, तो उस ने अपनी सारी जीवन-कहानी ही सुन्दर बनाली (अपना सारा जीवन सवार लिया) ॥੨॥

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