बिहार के गया में पितृपक्ष में पिंडदानियों ने अपने पितरों संग मनाई ‘दीप दीपावली’

गया: बिहार के गयाजी तीर्थ में चल रहे विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला के दौरान गुरुवार को हजारों-लाखों पिंडदानियों ने अपने पितरों संग ‘दीप दीपावली’ मनाई। विष्णुपद मंदिर और फल्गु तट के देवघाट पर दीप दीपावली का अछ्वुत नजारा देखने को मिला। आज देर संध्या देवघाट सहित पूरा मेला परिसर रंग-बिरंगी रोशनी से जगमगा रहा था।.

गया: बिहार के गयाजी तीर्थ में चल रहे विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला के दौरान गुरुवार को हजारों-लाखों पिंडदानियों ने अपने पितरों संग ‘दीप दीपावली’ मनाई। विष्णुपद मंदिर और फल्गु तट के देवघाट पर दीप दीपावली का अछ्वुत नजारा देखने को मिला। आज देर संध्या देवघाट सहित पूरा मेला परिसर रंग-बिरंगी रोशनी से जगमगा रहा था। पितरों को खुश करने के लिए इस तरह का उत्सव मनाने की पौराणिक परंपरा है। विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला के दौरान देश-विदेश से यहां गयाजी पहुंचे हजारों-लाखों पिंडदानियों ने नाचते-झूमते अपने पितरों संग ‘दीप दीपावली’ मनाई।

ऐसी मान्यता है कि पितृपक्ष के दौरान पितर भी यहां पधारते हैं. 17 दिनों के इस धार्मिक अनुष्ठान के दौरान श्रद्धालु अपने पितरों को खुश करने के लिए देवदिवाली का उत्सव मनाते हैं। इस दौरान पवित्र फल्गु नदी के तट पर दिए जलाए जाते हैं और फल्गु नदी में दीपदान करने की परंपरा है। पंडित राकेश शास्त्री ने दीप दीपावली के महत्व समझाते हुए बताया कि गयाजी तीर्थ में अपने पितरों को मोक्ष दिलाने के लिए श्रद्धालु जब कदम रखते हैं, तब उनके पूर्वजों की आत्मा खुश हो जाती हैं। इसलिए कि उनके कुल का लोग उन्हें मुक्ति दिलाने के लिए यहां पधारे हैं। यही वजह है कि यहां देवदिवाली मनाने की परंपरा है।

उन्होंने बताया कि आज पिंडदानियों ने अपने माता-पिता, दादा-दादी, नाना-नानी सहित अन्य पितरों का दीपदान किया है और उनके नाम पर दीप जलाया है। ऐसा माना जाता है कि इस तरह का कर्मकांड करने से पितर खुश हो जाते हैं। वहीं, हैदराबाद से आए श्रद्धालु शिव शंकर अग्रवाल ने बताया कि अपने पितरों को स्वर्ग का रास्ता प्रशस्त करने के लिए दिवाली मना रहे हैं, ताकि उनके रास्ते में रोशनी कायम हो सके। साथ ही हम अपने पितरों को यह भी संदेश दे रहे हैं कि आपके आशीर्वाद से हमलोग सभी प्रसन्नता पूर्वक जीवन जी रहे हैं। पिंडदान करने के बाद जाते-जाते आतिशबाजी कर हम यह संदेश दे रहे हैं कि आपकी संतान खुश है। आप लोग भी जहां रहे आपकी आत्मा को शांति मिले। पितृ दीपावली का यही संदेश है।

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