जब मृत्यु आती है तो भरे-पूरे घर से उठाकर ले जाती है, कोई रोक नहीं पाता है: संत मधु परमहंस

साहिब बंदगी के सद्गुरु श्री मधुपरमहंस महाराज ने आज रखबंधु, में अपने प्रवचनों की अमृतवर्षा से संगत को निहाल करते हुए कहा कि जब मृत्यु आती है तो भरे पूरे घर से उठाकर ले जाती है। कोई रोक नहीं पाता है। कोई से देख भी नहीं पाता है। न कोई उसे बचा पाता है। वो.

साहिब बंदगी के सद्गुरु श्री मधुपरमहंस महाराज ने आज रखबंधु, में अपने प्रवचनों की अमृतवर्षा से संगत को निहाल करते हुए कहा कि जब मृत्यु आती है तो भरे पूरे घर से उठाकर ले जाती है। कोई रोक नहीं पाता है। कोई से देख भी नहीं पाता है। न कोई उसे बचा पाता है। वो कैसे जा रहा है। अंतवाहक शरीर से। आपने कई ग्रंथ शास्त्रों में अंतवाहक शरीर का पढ़ा होगा। कोई प्रगट हो जाता है, कभी गुम हो जाता है। अगर यमदूत इस शरीर में आते लेने तो कोई किसी को जाने नहीं देना था। सती सावित्री को ज्ञान था, वो पतिव्रता थी। अंतवाहक शरीर को समझती थी। जब सत्यवान को मृत्यु आई तो सती सावित्री ने देख लिया।

उसने यमराज से कहा कि मेरे पति को छोड़ दो। यमराज ने कहा कि मृत्यु पक्षपात नहीं करती है। दिव्य ताकतें भी आई, सबको शरीर छोड़ना पड़ा। जो अशुभ कर्म करता है, उसे यमदूत घसीटते मारते ले जाते हंै। जब दिव्यात्माएं शरीर छोड़ती है तो हरि के दूत आते है। आखिरकार सावित्री ने बहुत बातचीत की। आज भी किसी को कहते है कि बड़ी सती सावित्री बन रही है। यमराज ने बोला कि कुछ भी मांग, मैं दे दूंगा। बड़ी बात की। फिर उलझा दिया। फिर बोला कि अच्छा, मुझे आशीर्वाद दो, पुत्रवती हो। यमराज ने आर्शीवाद दे दिया। सावित्री ने बोला कि जब पति चला गया तो कैसे पुत्रीवत बनूं।

इस तरह सती सावित्री ने यमराज को उलझा दिया था। आखिर उसके पास में पतिव्रता की ताकत थी। पूरा जन्म अगर कोई स्त्री किसी परपुरुष के पास नहीं जाती है तो उसमें एक ताकत आती है। जालंधर भी अपने स्त्री के कारण से युद्ध में नहीं मारा जा रहा था। बाद में विष्णु जी ने उसके पति का रूप धारण करके उसका पतिव्रत भंग किया। जब जालंधर मारा गया, उसकी पत्नी को भरोसा नहीं हो रहा था। उसे कारण पता चला। उसे बहुत क्र ोध आया। उसने विष्णु जी को शाप दिया था कि पत्थर के हो जाओ। यह शास्त्रों में है। कहने का मतलब है कि अंतवाहक शरीर है। सबके पास है। प्रेतात्माएं भी ऐसे ही आ जाती हैं।

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