एकदंत संकष्टी चतुर्थी पर भगवान गणेश की अराधना में करे,जाने पूजा विधि ,मिलेगी कष्टों से मुक्ति

भगवान गणेश को प्रथम पूज्य और विघ्नहर्ता माना जाता है। हर कोई भगवान गणेश की पूजा अर्चना कर उनकी कृपा प्राप्त करना चाहते है। ऐसे में माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा अर्चना का विशेष महत्व होता है।

धर्म : भगवान गणेश को प्रथम पूज्य और विघ्नहर्ता माना जाता है। हर कोई भगवान गणेश की पूजा अर्चना कर उनकी कृपा प्राप्त करना चाहते है। ऐसे में माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा अर्चना का विशेष महत्व होता है। इस दिन भक्त व्रत रखते यही और भगवान गणेश की पुरे शर्द्धा भाव के साथ पूजा अर्चना करते है। आपको बता दे कि ज्येष्ठ माह की चतुर्थी को एकदंत संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है। वही इस बार एकदंत संकष्टी चतुर्थी का व्रत 26 मई रविवार को रखा जाएगा। हमारे हिन्दू धर्म के मान्यता है कि विघ्नहर्ता भगवान गणेश की पूजा अर्चना से जीवन के सभी कष्टों का निवारण हो जाता है और मनाकामनाएं पूरी हो जाती है। भगवान गणेश को भक्तों के कष्ट हरने के कारण विघ्नहर्ता का नाम दिया गया है। तो आइए जानते हैं एकदंत संकष्टी चतुर्थी व्रत की तिथि शुभ मुहूर्त और गणेश स्तोत्र.

विघ्नहर्ता भगवान गणेश

भगवान गणेश विघ्नहर्ता कहलाते हैं। ऐसे में भक्त भगवान गणेश को सभी कष्टों को हरने वाले देवता के रूप में पूजते है। चतुर्थी का व्रत रखकर विधि-विधान से पूजा करने से भगवान गणेश भक्तों से बहुत प्रसन्न होते हैं और भक्तो को असीम कृपा प्राप्त होती है।

सिद्धि प्राप्ति हेतु मंत्र

श्री वक्रतुंड महाकाय सूर्य कोटी समप्रभा निर्विघ्नं कुरु हे देव सर्व-कार्येशु सर्वदा ॥

धन लाभ हेतु मंत्र

ॐ श्रीं गं सौभ्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं में वशमानयम् स्वाहा।

कब है एकदंत संकष्टी चतुर्थी

ज्येष्ठ में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 26 मई को सुबह 06 बजकर 6 मिनट शुरू होगी और अगले दिन यानी 27 मई को सुबह 4 बजकर 53 मिनट तक रहेगी। एकदंत संकष्टी चतुर्थी का व्रत 26 मई को रखा जाएगा।

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