गाजीपुर : सन् 1965 के युद्ध नायक Abdul Hamid के परिवार और अन्य लोगों के विरोध के बाद, गाजीपुर में शिक्षा अधिकारियों ने उनके पैतृक गांव में सरकारी प्राथमिक विद्यालय के प्रवेश द्वार पर उनका नाम पुनः स्थापित कर दिया, जिसे हाल में रंगाई-पुताई के दौरान हटा दिया गया था। जिला मुख्यालय से लगभग 35 किलोमीटर दूर जखनियां तहसील के धामूपुर गांव में स्थित इस स्कूल का नाम मूल रूप से हमीद के नाम पर रखा गया था, जिन्होंने बचपन में यहीं पढ़ाई की थी। हालांकि, पांच दिन पहले स्कूल की रंगाई-पुताई के बाद बेसिक शिक्षा विभाग ने मुख्य द्वार पर उनका नाम बदलकर ‘‘पीएम श्री कम्पोजिट स्कूल’’ लिख दिया, जिससे हमीद का परिवार नाराज हो गया।
दीवार पर नाम लिखकर परिवार को शांत करने का प्रयास
शुरुआत में, शिक्षा अधिकारियों ने प्रवेश द्वार पर हामिद का नाम पुनः स्थापित करने के बजाय दीवार पर हामिद का नाम लिखकर परिवार को शांत करने का प्रयास किया। हालांकि, हामिद के पोते जमील अहमद ने इस मामले को उच्च अधिकारियों तक पहुंचाया। जमील अहमद ने पुष्टि की, ‘‘आज मुख्य द्वार पर स्कूल का नाम ‘शहीद वीर अब्दुल हामिद पीएम श्री कम्पोजिट स्कूल, धामूपुर, जखनियां, गाजीपुर जिला’ के रूप में बहाल कर दिया गया।’’ हामिद के परिवार ने बेसिक शिक्षा अधिकारी हेमंत राव की उनके नाम को हटाने के लिए कड़ी निंदा की।
देश का नाम ‘भारत’ से बदलकर ‘भाजपा’
जमील ने कहा, ‘‘देश के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले युद्ध नायक का नाम मिटाना एक अक्षम्य गलती थी।’’ इससे पहले मंगलवार को समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी इस मुद्दे पर भाजपा के नेतृत्व वाली राज्य सरकार की आलोचना की थी। यादव ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया था, ‘‘यह बेहद निंदनीय और अशोभनीय है कि देश के लिए जान देने वालों से ज्यादा महत्व किसी और को दिया जा रहा है। अब बस इतना ही बचा है कि कुछ लोग देश का नाम ‘भारत’ से बदलकर ‘भाजपा’ कर दें।’’ उन्होंने लिखा था,‘‘जिन लोगों ने न तो आजादी दिलाने में कोई भूमिका निभाई और न ही आजादी को बचाने में, वे शहीदों का महत्व क्या जान सकते हैं।’’