आमिर खान की शानदार एक्टिंग, जबरदस्त एक्शन और डायलॉग्स से भरी फिल्म “गुलाम” को पूरे हुए 26 साल

एक्टर ने अपने इस किरदार द्वारा की गई बेहतरीन परफॉर्मेंस से सभी का दिल जीता, जिसे दर्शक कई सालों बाद भी याद रखे हुए हैं।

आमिर खान ने कई फिल्मों में काम किया है और अलग-अलग किरदारों को निभा कर उन्होंने अपने टेलेंट का लोहा मनवाया है। 1998 में रिलीज़ हुई फिल्म ‘गुलाम’ में उनका परफॉर्मेंस बेहद खास था। इससे साबित होता है कि वह अलग-अलग किरदारों को कितनी अच्छी तरह से निभा सकते हैं। ‘गुलाम’ में आमिर खान ने सिद्धू नाम के एक टपोरी लड़के का किरदार निभाया था, जो एक ऐसा शख्स है जो सख्त होने के साथ-साथ संवेदनशील भी है। एक्टर ने अपने इस किरदार द्वारा की गई बेहतरीन परफॉर्मेंस से सभी का दिल जीता, जिसे दर्शक कई सालों बाद भी याद रखे हुए हैं।

फिल्म की शुरुआत से ही आमिर खान का बम्बइया लहजा यह दर्शाता है कि उनका किरदार मुम्बई की गलियों, सड़कों से गहराई से जुड़ा हुआ है। एक सड़कछाप, लेकिन समझदार और सख्त लड़के का उनका किरदार, लोकल गैंगस्टर का स्वैग और स्लैंग के साथ, कैची और कमाल का है। इस फिल्म में आमिर खान के बॉलीवुड फाइट सीन ने उनकी फिजिकेलिटी और डेडीकेशन को बहुत अच्छे से दिखाया है, जिसकी वजह से उनकी परफॉर्मेंस और रीयल लगती है।

फिल्म का एक हाईलाइट है आमिर खान और रानी मुखर्जी के बीच ऑन-स्क्रीन केमिस्ट्री जो बहुत ही शानदार थी। उनकी बातचीत फिल्म की कहानी में एक इमोशन से भरी गहराई को जोड़ती है, जिससे फिल्म में उनका रिश्ता एक सेंट्रल एलिमेंट बन जाता है। दिलचस्प बात यह है कि ‘गुलाम’ में दर्शकों ने रानी मुखर्जी की आवाज़ नहीं बल्कि मोना शेट्टी की आवाज़ सुनी है। दरअसल, मेकर्स ने शेट्टी को उनकी हाई पिच वाली टोन के लिए चुना, जो मुखर्जी की असल कर्कश आवाज़ से अलग है। यह कदम आम नहीं था, लेकिन इस फैसले ने यूनिक साउंड बनाने में मदद की, साथ ही इसने किरदारों को नई ऊंचाई भी दी।

सिद्धू के रोल में आमिर खान ने एक किरदार की उलझन, निराशा और फिर नैतिकता के अहसास से भरी यात्रा को बहुत ही सुंदर तरीके से दिखाया है। सिद्धू का बदलने का सफर, एक बेपरवाह गुंडे से एक वफादार और समझदार व्यक्ति बनने तक, यह सब कुछ बहुत ही प्रेरक ढंग से प्रस्तुत किया गया है। एक्टर आमिर खान ने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए किरदार के आंतरिक संघर्ष और आगे बढ़ने की कोशिश को खूबसूरती से दिखाया है। सिद्धू के किरदार का सफर लोगों के दिलों में गहरा असर छोड़ता है। उसने जिंदगी की कुछ सख्त हकीकतें जानी हैं, जिससे उसका व्यक्तिगत परिवर्तन हुआ है। ये वो मामले हैं जो असली भावनाओं को महसूस कराते हैं।

विक्रम भट्ट द्वारा डायरेक्टेड ‘गुलाम’ को क्रिक्ट्स से खूब तारीफें मिली, इतना ही नहीं इसे कई अवॉर्ड के लिए नॉमिनेट भी किया गया, जिससे यह बॉलीवुड की क्लासिक फिल्म बन गई। फिल्म के लिए खास पल वह भी था जब उसने अपने आईकॉनिक ट्रेन रेस सीक्वेंस के लिए 44 वे फिल्मफेयर अवार्ड में बेस्ट सीन ऑफ द ईयर के लिए अवॉर्ड जीता। इस सीन में टेंशन के साथ उत्साह का भी सही मिश्रण है, कहा जाए तो आमिर खान की फुर्ती और कमिटमेंट उनकी इस परफॉर्मेंस में दिखती है।

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