Satish Kaushik Anupam Kher : दिग्गज अभिनेता अनुपम खेर दिवंगत अभिनेता और खास दोस्त सतीश कौशिक को बहुत मिस कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर एक भावुक पोस्ट साझा कर अभिनेता ने अपने दर्द को बयां किया।
सोशल मीडिया पर सक्रिय अभिनेता अनुपम खेर अक्सर एक से बढ़कर एक पोस्ट साझा करते रहते हैं। इंस्टाग्राम पर एक भावुक पोस्ट साझा करते हुए उन्होंने लिखा, ‘‘मेरी और सतीश की इन दो तस्वीरों में 47 साल साथ बिताई जिंदगी का अंतर है। ऊपर वाली तस्वीर 1978 में मंचित नाटक ‘लॉन्ग डेज जर्नी इनटू नाइट’ की है और नीचे वाली तस्वीर फिल्म ‘इमरजेंसी’ की शूटिंग के दौरान की है।’’
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अभिनेता ने सतीश कौशिक के साथ बिताए पलों को खूबसूरत बताते हुए लिखा, ‘‘तस्वीरें भले ही ब्लैक एंड व्हाइट हैं लेकिन हमारे ये साथ गुजरे साल इंद्रधनुष के रंगों से ज्यादा रंगीन थे! कमबख्त बहुत जल्दी चला गया सतीश कौशिक! तुम्हें और तुम्हारे साथ बिताए पलों को बहुत मिस करता हूं।’’
अभिनेता ने इससे पहले एक वीडियो साझा किया था, जिसमें खेर कश्मीर घाटी में 90 के दशक में हिंदुओं के पलायन की दर्दनाक घटना को याद करते हुए एक कविता सुनाई। भावुक कविता के एक-एक शब्द में विस्थापितों का दर्द छलका। कविता सुनाते हुए अनुपम खेर की आंखें भी भर आईं।
अनुपम खेर ने कवि और फिल्म लेखिका सुनयना काचरू की एक कविता सुनाई थी। सुनयना काचरू भी विस्थापित कश्मीरी पंडित हैं।
अनुपम खेर ने कैप्शन में लिखा था, ‘19 जनवरी, 1990 कश्मीरी हिंदुओं का पलायन दिवस। 35 साल हो गए हैं, जब 5,00,000 से ज्यादा हिंदुओं को उनके घरों से बेरहमी से निकाल दिया गया था। वे घर अभी भी वहीं हैं, लेकिन उन्हें भुला दिया गया है। वे खंडहर हैं। इस त्रासदी की शिकार सुनयना काचरू ने उन घरों की यादों के बारे में दिल छूने वाली एक कविता लिखी। कविता की ये पंक्तियां उन सभी कश्मीरी पंडितों को वह मंजर याद दिला देंगी, जो इस भीषण त्रसदी के शिकार हुए थे। यह दुखद और सत्य दोनों है।‘
कश्मीरी पंडितों के घर शीर्षक वाली कविता को अनुपम खेर ने पढ़ा, जिसमें डल झील, केसर की महक, पश्मीना शॉल और झेलम का जिक्र था। अनुपम खेर के वर्कफ्रंट की बात करें तो अभिनेता इन दिनों कंगना रनौत की फिल्म इमरजेंसी में अपने अभिनय से चर्चा में हैं, जिसमें उन्होंने जयप्रकाश नारायण का किरदार निभाया है।