हाल ही में एक भारतीय अखबार मे प्रकाशित अपने लेख में अंतरराष्ट्रीय मामलों के भारतीय जानकार सी राजामोहन के मुताबिक, यूक्रेन युद्ध की पहली बरसी के ठीक पहले ठंड का मौसम खत्म होने वाला है। इस वजह से दुनिया मान रही है कि रूस-यूक्रेन के बीच एक बार फिर भीषण लड़ाई हो सकती है। इस बीच यह भी चर्चा है कि रूस और यूक्रेन के बीच ‘बातचीत’ चल रही है।राजामोहन का कहना है कि यूक्रेन संघर्ष के बीच शांति की कोशिश भी तेज हो गई है और इसमें चीन के राष्ट्रपति शी जिनफिंग बड़ी भूमिका निभा रहे हैं। राजमोहन के मुताबिक, चीन चाहता है कि वह यूक्रेन में शांति स्थापित कराने वाला देश बने। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग इस सप्ताह यूक्रेन युद्ध के एक साल पूरे होने पर ‘शांति भाषण’ देने जा रहे हैं। माना जा रहा है कि चीनी राष्ट्रपति इस भीषण युद्ध को खत्म कराने को लेकर किसी योजना की घोषणा कर सकते हैं।
राजामोहन के अनुसार, इन दिनों जिस तरह चीन के राष्ट्रपति के नजदीकी माने जाने वाले चीन के पूर्व विदेश मंत्री वांग यी फ्रांस, जर्मनी, इटली और यूक्रेन का दौरा कर रहे हैं, उससे साफ है कि वे अपने राष्ट्रपति के संदेश को लेकर घूम रहे हैं एवं रूस-यूक्रेन के बीच जारी युद्ध को रोकने की कोशिश में हैं। वांग यी का प्रयास है कि किसी तरह से शांति के रास्ते को सुनिश्चित किया जा सके। राजामोहन ने कहा कि वांग यी मास्को में रूसी राष्ट्रपति पुतिन से मुलाकात कर सकते हैं।
वांग ने संकेत दिया है कि शी जिनपिंग अपने भाषण में यूक्रेन में क्षेत्रीय संप्रभुता को बरकरार रखने के महत्व को रेखांकित करेंगे। साथ ही यह सुनिश्चित करेंगे कि रूस के वैधानिक हितों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। इस बीच यूरोप भी शी जिनपिंग पर निगाह लगाए बैठा है। यूरोप को उम्मीद है कि शी जिनफिंग ही रूस और यूक्रेन को नजदीक ला सकते हैं और युद्ध को बंद करा सकते हैं। राजामोहन कहते हैं कि चीन के इस प्रयास में भारत भी अहम भूमिका निभा सकता है। उनके मुताबिक, चीनी नेता वांग यी ने अपनी तरफ से कहा है कि चीन अपनी योजना में संप्रभुता, क्षेत्रीय एकजुटता और संयुक्त राष्ट्र के चार्टर पर जोर देगा। उन्होंने कहा कि रूस के वास्तविक सुरक्षा हितों के सम्मान की जरूरत है।
(उमेश चतुर्वेदी, वरिष्ठ भारतीय पत्रकार)